एचएएल प्रबंधन को बयान राहुल गांधी के बेंगलूरु दौरे के बाद आया है। एचएएल के पूर्व व वर्तमान कर्मचारियों से मुलाकात के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया था कि आधुनिक भारत के संस्थानों पर हमले हो रहे हैं। सार्वजनिक संस्थानों को तबाह किया जा रहा है। हालांकि इस बयान में गांधी के कंपनी के कर्मचारियों से मिलने का खासतौर पर जिक्र नहीं किया था। उन्होंने कर्मचारियों से एचएएल को एयरोस्पेस के क्षेत्र में एक सामरिक संपत्ति बताते हुए मोदी सरकार पर इस सरकारी कंपनी को नष्ट करने का भी आरोप लगाया।
इसके जवाब में कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि एनडीए सरकार ने उसके प्रमुख स्थान को मान्यता देते हुए 2014 से 2018 की अवधि के दौरान करीब 27,340 करोड़ रुपए के आपूर्ति ऑर्डर देकर एचएएल को पूर्ण सहयोग दिया है। अधिकारी ने कहा कि इस अवधि के दौरान 7,800 करोड़ रुपए तक का वित्तीय मदद दी गई। उक्त अधिकारी ने कहा कि रक्षा एवं एयरोस्पेस उद्योग क्षेत्र में एचएएल को गौरव से देखा जाता है और उसने राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में अत्याधिक योगदान दिया है। एचएएल के ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कर्मचारियों के राजनीतिकरण का आज का प्रयास अफसोसजनक कदम है। यह संस्थान, उसके कर्मचारियों एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के हित के लिए नुकसानदेह होगा।