मूलवासियों को कर दिया बेघर सीएम ने कहा की रांची, धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर सहित पूरे झारखंड में आदिवासी की जमीन है। इसलिए सीएनटी-एसपीटी एक्ट के तहत कवच बनाई गई है। आन्दोलनकरियो की इस झारखंड की धरती में हमारे पूर्वजों का बलिदान, खून से लिखा गया है। लेकिन सीएनटी-एसपीटी एक्ट को ताक में रखकर आज यहां आदिवासी मूलवासियों को जमीन और घर से बेघर होना पड़ रहा है।
आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने को बनाई योजना सीएम ने कहा कि हमारे पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन यहां की बुनियादी-सामाजिक और अर्थिक स्थिति के तहत योजना बनाना शुरू किया। लेकिन जंगल के भीतर और नदी किनारे बसने वाले ग्रामीणों को आजादी के 75 साल बाद भी सरकारी योजनाएं नहीं पहुँची थी। वैसे जगहों में हेमन्त सोरेन की सरकार ने लोगों को रोटी, कपड़ा ,मकान देकर उन्हें मालिक बनाने का काम किया। तो विपक्ष ने सोचा उनका सभी मुद्दा समाप्त हो गया। यह क्या हो रहा है। आदिवासी दलितों के लिए बननेवाले योजनाओं को देखकर भाजपाइयों के पेट में दर्द देना शुरू हो गया।
आदिवासियों को लौटानी होगी जमीन मुख्यमंत्री ने कहा कि कैसे महज दो साल कोरोना और बचे दो सालों में बेहतर काम हो रहा। भाजपाइयों की नींद उड़ गई। फिर देश में केंद्रीय एजेंसियों का सहारा लिया गया। जो हमेशा स्वतन्त्र रूप से काम करते थे लेकिन भेदभाव रखकर बगैर सबूत हेमन्त सोरेन को जेल में डालने का काम किया गया। ऐसे भाजपा बहुरूपिया दल ने सिर्फ झारखंड को लुटा है। भाजपा कभी न्याय नहीं करेगा। हर किसी को समझना होगा। इसकी साजिश से रांची में आदिवासी मूलवासियों की जमीन हड़पी गई है। केन्द्र सरकार से अनुरोध करेंगे जिस तरह यहां हरियाली थी वैसी स्थिति बना दे। सिर्फ आठ एकड़ ही क्यूं आदिवासी मूलवासियों को न्याय चाहिए। सभी जमीनें वापस कराए।