भारत विरोधी बैठकों का मंच बन रहे हैं विश्वविद्यालयृ जितेंद्र सिंह
जितेंद्र सिंह ने इन घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी कैंपस को भारत विरोधी बैठकों के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं व्यक्तिगत तौर पर स्वतंत्र विचारों और विचारधारों के पक्ष में हूं, लेकिन नीचे की पंक्ति में राष्ट्रीय अखंडता के लिए प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
प्रोफेसर ने भगत सिंह को बताया था आतंकी
आपको बता दें हाल ही में जम्मू-कश्मीर यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर मोहम्मद ताजुद्दीन ने क्लास में लेक्चर के दौरान भगत सिंह को आतंकी कह दिया था। मौके पर ही मौजूद छात्रों ने इसके खिलाफ सख्त आपत्ति जताई और शिकायत दर्ज कराई। हालांकि बाद में ताजुद्दीन ने खुद इस पर माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि मैं खुद भगत सिंह को एक क्रांतिकारी मानता हूं, वह उन लोगों में से हैं जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।” फिलाहल इस पूरे मामले की जांच चल रही है, लेकिन मोहम्मद ताजुद्दीन को यूनिवर्सिटी से सस्पेंड कर दिया गया और प्रशासन ने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक वो क्लास नहीं ले सकते।
क्या था जेएनयू विवाद
वहीं दूसरी तरफ जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में भी दो साल पहले 9 फरवरी को कथित तौर पर देशविरोधी नारेबाजी की गई थी। यूनिवर्सिटी कैंपस में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी मनाई गई थी। लेफ्ट विचारधारा के छात्रों के समूह ने इस अवसर पर साबरमती हॉस्टल के सामने शाम के 5 बजे एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में वामंपंथी विचारधारा के छात्र सम्मिलित थे और जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष , उपाध्यक्ष और अन्य लोग उपास्थिति थे, जिनका उद्देश्य भारत की न्यायिक व्यवस्था पर चर्चा करना था। इसी कार्यक्रम में देशविरोधी नारेबाजी की गई थी, जिसकी जांच अभी तक चल रही है।
एएमयू में भी आतंकी के समर्थन में नमाज
इसके अलावा अभी हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी आतंकी मन्नान वानी की मौत के बाद, उसके लिए नमाज अदा की गई थी। वहीं यूनिवर्सिटी के छात्रों ने मन्नान वामी को हीरो बताया था।