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भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर्नाटक चुनाव, पार्टी ने झोंकी पूरी ताकत

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अपनी सफलता के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक बार फिर से पूरा जोर लगा दिया है।

नई दिल्लीApr 12, 2018 / 09:10 am

Siddharth Priyadarshi

amit shah with karnataka bjp leadres
बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की सफलता को जारी रखने के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने एक बार फिर से पूरा जोर लगा दिया है। कर्नाटक के भाजपा प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर भी कमर कस कर शाह की चुनावी नीतियों को जमीन पर उतारने की कोशिश में है।
बताया जा रहा है कि भाजपा ने एक बार फिर कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ-साथ जमीनी तैयारी, जातिगत समीकरण और त्रिकोणीय राजनीति के फार्मूले पर जोर दिया है। इसके साथ-साथ राज्य से लेकर केन्द्र स्तर के नेताओं के प्रचार अभियान के जरिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी को अपना परचम लहराने की उम्मीद है।
भाजपा का मिशन कर्नाटक

कर्नाटक प्रदेश में भाजपा अपना पूरा दम लगाने को बेचैन दिख रही है। राज्य नेताओं के अनुसार कर्नाटक में प्रधानमंत्री की 15 जनसभाओं की योजना है। भाजपा को उम्मीद है कि इन जनसभाओं से मतदाताओं को तेजी से पार्टी के पक्ष में मोड़ा जा सकता है। इसी तरह से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का भी कार्यक्रम तैयार हो रहा है। शाह बीते महीने से कई बार कर्नाटक का दौरा कर चुके हैं। पार्टी ने कर्नाटक में बाजी जीतने के लिए अपने रणनीतिकार राम माधव को भी उतार दिया है। 72 उम्मीदवारों की जारी पहली सूची में 21 लिंगायत उम्मीदवार उतारकर पार्टी ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का सारा चुनावी गणित बिगाड़ दिया है। जद सेकुलर के एचडी कुमारस्वामी को भी भाजपा नेता अपने साथ मिलाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस पहले ही जनता दल सेकुलर को भाजपा की बी-टीम कह रही है।
क्या येदियुरप्पा लगा पाएंगे नैया पार

भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के लिए बीएस येदियुरप्पा को उम्मीदवार बनाया है। यह एक बहुत बड़ा राजनीतिक दांव था। उन्हें काफी पहले मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया था। वह खुद लिंगायत समुदाय से आते हैं जिसका राज्य विधानसभा की करीब 90 सीटों पर प्रभाव है। बता दें कि कर्नाटक में दो सौ से अधिक प्रभावी लिंगायत मठ हैं। हालांकि येदियुरप्पा राज्य को स्वच्छ शासन देने का दावा करते हैं पर उन पर खुद भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हुए हैं। फिर भी भाजपा को भरोसा है कि उनका चुनावी कौशल और लोगों को अपनी बातों से मोड़ लेने की ताकत भाजपा को बहुत फायदा पहुंचाएगी।

किधर जाएगा लिंगायत समुदाय
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायत समुद्दत को अलग अल्पसंख्यक दर्जा दे दिया है। उधर लिंगायत मठों ने केन्द्र सरकार से राज्य सरकार के सिफारिश लागू करने की अपील की है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लिंगायत धर्म गुरुओं की इस बात को मानने से इनकार कर दिया था। उन्होंने खुले मंच से घोषणा की थी कि लिंगायतों को केंद्र सरकार अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं देगी। माना जा रहा है कि इसके बाद से भाजपा को लिंगायतों का समर्थन मिलने की सम्भवना न्यून है। हालांकि पार्टी एक लिंगायत नेता येदियुरप्पा के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है पर बदली परिस्थितियों में वह भी लिंगायतों के बीच अलोकप्रिय हो रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस आपात स्थिति से निबटने की तैयारी हो रही है।
कांग्रेस की कमजोरी, बनेगी भाजपा की ताकत

कांग्रेस अभी कर्नाटक में पूरी ताकत से प्रचार कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पांच बार राज्य का दौरा करके राज्य के कई जिलों में जनसभाएं कर चुके हैं। लेकिन भाजपा का मानना है कि चुनाव नजदीक आते आते कांग्रेस का जोश शांत पड़ जाएगा और भाजपा अपनी विरोधी पार्टी पर निर्णायक बढ़त बना लेगी। पार्टी के रणनीतिकारों को भरोसा है कि चुनाव प्रचार के पीक पर आते-आते भाजपा के पक्ष में माहौल दिखाई देने लगेगा। इसके लिए पार्टी नए मुद्दों, प्रचार के तरीके बदलने समेत सभी उपायों की तैयारी कर रही है। भाजपा कांग्रेस और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है।
भाजपा के समर्थन में उतरा संघ

भाजपा की मुश्किलें बढ़ता देख संघ अब भाजपा के पक्ष में सक्रिय हो गया है। संघ के एक पदाधिकारी ने कहा कि ‘तटीय इलाकों में हमारे बल देने से कार्यकर्ताओं के अंदर पॉप्‍युलर फ्रंट ऑफ इंडिया और सो‍शिलिस्‍ट डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया के खिलाफ ऊर्जा का संचार होगा।’ उन्‍होंने बताया कि आरएसएस की स्‍थानीय इकाई भाजपा नेताओं के साथ मिलकर काम करेगी। भाजपा के सूत्रों ने बताया कि पार्टी काडर को एकजुट करने का पूरा काम आरएसएस के वरिष्‍ठ नेताओं को दे दिया गया है।

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