कर्नाटक ( Karnataka political crisis ) से कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार को बेदखल करने में बीजेपी ने इस बार ज्यादा जल्दबाजी नहीं की बल्कि इस मुहिम को एक रणनीति ऑपरेशन लोटस 4.0 के जरिये आगे बढ़ाया। भले ही थोड़ा वक्त लगा लेकिन बीजेपी अपने इरादों में कामयाब होती दिख रही है।
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बीजेपी की इस सफलता का सफर इतना आसान नहीं है। दक्षिण में कमल खिलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने लंबा संघर्ष किया। कभी आक्रामक तरीके से तो कभी सूझबूझ के साथ अपनी चालें चलीं। फिर वक्त आया ऑपरेशन लोटस को लॉन्च करने का। राजनीतिक जीत के लिए बीजेपी ने करीब 11 साल पहले ही इसकी नींव रखी।
ऑपरेशन लोटस का विचार सबसे पहले कर्नाटक में ही आया था। इस विचार के तहत वर्ष 2008 में बीजेपी ने दक्षिण भारत में पहली बार अपना परचम लहराया था। 2008 में ही बीजेपी यहां की 224 सीटों में से 110 सीटें जीतने में कामयाब रही। उस दौरान कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर पार्टी से इस्तीफा दिया।
बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस के तहत उन्हें अपनी पार्टी का टिकट दिया। इस ऑपरेशन में कुल 8 विधायक शामिल थे। इनमें से 5 को जीत मिली जबकि 3 ने हार का मुंह देखा। खास बात यह रही कि भाजपा सत्ता तक पहुंचने में कामयाब रही।
बीजेपी को अपना पहला ऑपरेशन लोटस रास आ गया। लिहाजा पार्टी ने इसे राजनीतिक संकट से उबारने की मुहिम बना लिया। इसके बाद ऑपरेशन लोटस – 2 की बारी आई। जिसे 20 दिसंबर 2018 को सक्रिय किया गया। 22 दिसंबर को मंत्रालय के विस्तार के वक्त जरकिहोली को मंत्रालय में प्रदर्शन ना दिखाने के आधार पर हटा दिया गया था। रमेश जरकिहोली उन दिनों कांग्रेस नेतृत्व से नाराज थे।
उन्होंने संकेत दिया था कि वे विधानसभा की सदस्यता छोड़ देंगे और अगले चार दिनों में अपनी योजना सार्वजनिक करेंगे। दरअसल बीजेपी बहुतम साबित नहीं कर पाई थी और येदियुरप्पा की सरकार गिर जाने से पार्टी को विधायकों की जरूरत थी। ऐसे में इस दौरान भी ऑपरेशन लोटस के जरिये कांग्रेस विधायक को अपने पाले में करना चाहती थी जो हो ना सका।
बीजेपी का ऑपरेशन लोटस- 3.0 अगला जनवरी 2019 में शुरू हुआ। बीजेपी ने उम्मीद नहीं हारी और जरकिहोली के संपर्क में रही। जरकिहोली कुछ विधायकों के साथ मुंबह में डेरा जमाए हुए थे। बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस के जरिये इन विधायकों से संपर्क साधना शुरू किया। हालांकि बीजेपी का ये अभियान भी विफल रहा और रमेश जरकिहोली उनके झांसे में नहीं आए। लिहाजा एक बार फिर बीजेपी बहुत के आंकड़े को छूने का सपना संजो कर चुप बैठ गई।
बीजेपी को यकीन है कि उसका ऑपरेशन लोटस ही उसे कर्नाटक में अपनी जड़े जमाने में कामयाबी दिलाएगा। ऐसा होता दिख भी रहा है। इस बार कांग्रेस और जेडीएस के विधायक पार्टी छोड़ने का मन बना चुके हैं। जो बीजेपी के लिए बड़ा और बेहतर संकेत है। राजनीतिक समीकरण साफ इशारा कर रहे हैं बीजेपी का ऑपरेशन लोटस 4.0 का तीर निशाने पर लगा है।