इसलिए कर्नाटक में मंडरा रहा खतरा कर्नाटक में फिलहाल जेडीएस और कांग्रेस की सरकार है। लेकिन पिछले कुछ समय से ही भाजपा सरकार गिराने की तैयारी में जुटी है। हाल में भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने था कि आगामी 23 मई के बाद 20 से ज्यादा कांग्रेस विधायक भारतीय जनता पार्टी से में शामिल हो जाएंगे। उनके इस बयान से ही कर्नाटक की सियासत में भूचाल आ गया था। अब एग्जिट पोल के नतीजों के बीच सीएम कुमारस्वामी ने कई ट्वीट करते हुए येदियुरप्पा के बयान को हवा दे दी है। कुमारस्वामी ने कई ट्वीट किए जिनमें उन्होंने लिखा… “कृत्रिम तरीके से तैयार की गई मोदी लहर का इस्तेमाल भाजपा 23 मई के परिणाम के बाद किसी कमी को पूरा करने के लिए पहले ही क्षेत्रीय पार्टियों को लुभाने में जुटी है।
एग्जिट पोल देख बदले राम माधव के सुर, बोले- शानदार जीत दर्ज करेगी भाजपा कुमारस्वामी ने कहा कि एक्जिट पोल एक खास नेता और उसकी पार्टी के पक्ष में एक लहर का झूठा वातावरण तैयार करने का एक प्रयास था। उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल को अनावश्यक अधिक महत्व नहीं दिया जाना चाहिए, जो मात्र अस्थायी आंकड़े पेश करता है। आपको बता दें कि अधिकांश एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी को राज्य की 28 सीटों में से 18 से 23 सीटें दी गई हैं।
ये है कर्नाटक विधानसभा का गणित
वर्ष 2018 में 224 सीटों वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 78 जबकि जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं। बसपा के खाते में 1 और अन्य के खाते में दो सीटें आई थीं। राज्य में अभी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार है। जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 104 है। यहां भाजपा को सरकार बनाने के लिए आठ विधायकों का साथ चाहिए।
वर्ष 2018 में 224 सीटों वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 78 जबकि जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं। बसपा के खाते में 1 और अन्य के खाते में दो सीटें आई थीं। राज्य में अभी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार है। जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 104 है। यहां भाजपा को सरकार बनाने के लिए आठ विधायकों का साथ चाहिए।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सभी एग्जिट पोल को नकारा, बोले- 20 साल से हो रहे गलत साबित मध्य प्रदेश सरकार पर अल्पमत का संकट!
मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव के बाद आए परिणामों ने सभी को चौंकाया। भाजपा के गढ़ माने जाने वाले एमपी में कांग्रेस ने 113 सीटों पर अपना कब्जा जमाया और भाजपा 109 सीटें आईं यानी अंतर काफी कम रहा। हालांकि कमलनाथ ने चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा के विधायक को अपने साथ कर सरकार बना ली लेकिन तलवार लटकती रही।
मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव के बाद आए परिणामों ने सभी को चौंकाया। भाजपा के गढ़ माने जाने वाले एमपी में कांग्रेस ने 113 सीटों पर अपना कब्जा जमाया और भाजपा 109 सीटें आईं यानी अंतर काफी कम रहा। हालांकि कमलनाथ ने चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा के विधायक को अपने साथ कर सरकार बना ली लेकिन तलवार लटकती रही।
अब एग्जिट पोल के नतीजों से उत्साहित भाजपा ने एक बार फिर सूबे में सियासत को गर्मा दिया है। राज्यपाल से सत्र बुलाने की पेशकश ने ही कमलनाथ सरकार पर अल्पमत के साये का इशारा किया है। दरसअल भाजपा के महासचिव और अमित शाह के खास माने जाने वाले प. बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय पहले ही बयान दे चुके हैं ऊपर से इशारा मिला तो वे कभी मध्यप्रदेश में तख्तापलट कर सकते हैं।
ये है मध्य प्रदेश विधानसभा का गणित
231 विधानसभा सीटों वाले एमपी में कांग्रेस को 113 सीटें आईं, जबिक सत्ताधारी भाजपा को 109 सीटों से संतोष करना पड़ा। बसपा को 2, सपा को 1 और 4 निर्दलीय विधायक जीत दर्ज करने में सफल रहे।
231 विधानसभा सीटों वाले एमपी में कांग्रेस को 113 सीटें आईं, जबिक सत्ताधारी भाजपा को 109 सीटों से संतोष करना पड़ा। बसपा को 2, सपा को 1 और 4 निर्दलीय विधायक जीत दर्ज करने में सफल रहे।
कुल मिलाकर इस बार एग्जिट पोल सही साबित होते हैं और मोदी दोबारा सत्ता पर काबिज होते हैं, तो शायद उनका पहला दांव मध्यप्रदेश और कर्नाटक जैसे दोनों गैर भाजपा शासित राज्यों पर कब्जा करना हो सकता है। जो कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल का दौर साबित हो सकता है।