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गुना

स्वास्थ्य सेवाओं पर हर माह लाखों खर्च, फिर भी नहीं मिलता मरीजों को इलाज

– मेडिसिन विशेषज्ञ गए छुट्टी पर, इलाज विहीन हो जाता है जिला अस्पताल

गुनाDec 09, 2019 / 02:03 pm

praveen mishra

स्वास्थ्य सेवाओं पर हर माह लाखों खर्च, फिर भी नहीं मिलता मरीजों को इलाज

स्वास्थ्य सेवाओं पर हर माह लाखों खर्च, फिर भी नहीं मिलता मरीजों को इलाज

गुना। जिले की स्वास्थ्य सेवाओं पर लाखों रुपए हर माह खर्च हो रहा है, लेकिन मरीजों को बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। जहां एक ओर जिला अस्पताल में चार सौ बिस्तर की सुविधा काफी समय पहले दे दी, लेकिन उन तो उसके हिसाब से यहां डॉक्टर हैं और न ही पैरामेडिकल स्टॉफ।
जांच के नाम पर मरीजों को परेशान करते हुए चाहें जब देखा जा सकता है। कलेक्टर के आदेश के बाद मेटरनिटी विंग पूरी तरह लूट-खसोट की विंग बनकर रह गई है। सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टर के न होने से आ रही है। क्योंकि जिले के किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। जिसके कारण सभी मरीजों को जिला अस्पताल ही आना पड़ता है।
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यहां मेडिसन विशेषज्ञ के नाम पर मात्र एक ही डॉ गौरव तिवारी हैं। इनके अलावा हड्डी रोग विशेषज्ञ के तौर पर डॉ सुधीर राठौर हैं। ऐसे में इन डॉक्टर के अवकाश पर जाते ही मरीज इलाज विहीन हो जाते हैैं। मजेदार बात ये है कि गुना जिले से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट और प्रभारी मंत्री इमरती देवी का यहां से पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का संसदीय क्षेत्र होने से बेहद लगाव रहा है, इस सबके बाद भी यहां की स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने को तैयार नहीं हैं।
इन परेशानियों से भी जूझते हैं मरीज
जिला अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों के समक्ष सबसे पहली चुनौती पर्चा बनवाने की रहती है। चूंकि यहां क प्यूटराइज्ड पर्चा व्यवस्था का ठेका प्राइवेट कंपनी पर है। जो अपना फायदा देखते हुए कम कर्मचारियों से ही काम ले रहा है। ऐसे में जिला अस्पताल में तीन विंडों पर ही पर्चे बनाए जा रहे हैं।
खास बात है कि इनमें से एक विंडों पर तो केवल इमरजेंसी मरीजों के ही पर्चे बनाए जाते हैं। ऐसे में सामान्य मरीजों के लिए दो विंडो ही हैं। जहां मरीजों को पर्चा बनवाने काफी समय तक लंबी लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। जो बीमार व्यक्ति के लिए काफी कष्टदायक साबित होता है।

झोलाछाप डॉक्टर्स पर नहीं लग पा रही लगाम
न्यायालय के आदेश के बावजूद आज तक जिले का स्वास्थ्य महकमा झोलाछाप डॉक्टर्स पर लगाम नहीं लगा सका है। जिसके कारण आए दिन ग्रामीण मरीज झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज का शिकार हो रहे हैं। यही नहीं कई मरीजों की तो जान भी जा चुकी है। लेकिन इसके बाद भी सीएमएचओ सहित स्थानीय प्रशासन उदासीन बना हुआ है। यही कारण है कि शहर सहित जिले भर में झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम अपनी क्लीनिक चला रहे हैं।
पीएम हाउस न होने से परिजन होते हैं परेशान
जिले के कई स्वास्थ्य केंद्रों पर पीएम हाउस नहीं है। जिसके कारण पुलिस व मृतक के परिजनों को पोस्ट मार्टम कराने के लिए काफी दूर जिला अस्पताल आना पड़ता है। ऐसे में पुलिस व परिजनों का अतिरिक्त आर्थिक व्यय तो होता ही है। साथ ही समय भी काफी लगता है। वहीं जननी एक्सप्रेस की व्यवस्थाएं भी पूरी तरह चरमराई हुई हैं।
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