बता दें, इन 5300 परिवारों का नाम विस्थापितों की लिस्ट में शामिल नहीं था। सरकार ने निर्णय लिया है कि इन लोगों के नाम सूची में शामिल करके इन्हें आर्थिक सहायत दी जाएगी। बता दें कि इन 5300 परिवारों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें से कुछ परिवार 1947 में बंटवारे के समय आए, कुछ कश्मीर के विलय के बाद और कुछ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से भारत में आए थे। इनमें से कुछ लोग भारत के अन्य राज्यों में भी बस गए थे।
PoK से आए परिवारों की आर्थिक सहायता के लिए प्रधानमंत्री ने 2016 में ही घोषणा कर दी थी। लेकिन तब इन 5300 परिवारों को फायदा नहीं पहुंच पाया था। सरकार ये राशि परिवार बसाने के लिए दे रही है।
असल में 5300 परिवार बंटवारे के बाद या कश्मीर के विलय के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को छोड़कर भारत आए थे। लेकिन तब कश्मीर में ना रुककर देश के अन्य हिस्सों में बसे। बाद में ये दोबारा जम्मू-कश्मीर गए। जिस कारण इनके पास कोई अधिकार नहीं था और इन्हें कोई सरकारी लाभ भी नहीं मिल पाया।
गौर हो, जम्मू-कश्मीर में पहले वही नागरिक वोट दे सकता था या फिर चुनाव लड़ सकता था, जो वहां का मूल निवासी हो। बंटवारे के बाद जम्मू-कश्मीर में आगर बसे लोगों को वोट देने का अधिकार नहीं था। इसके अलावा कुछ जाति विशेष के लोगों को भी वोट देने का अधिकार नहीं था।
अब जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटा दी गई है, जिस कारण ये नियम अब निष्प्रभावी हो गए हैं। अब इन 5300 परिवारों को भी ये लाभ मिलेगा, जो पुर्ननिवास भत्ते के रूप में शुरू हुआ था।