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डीएमके अध्‍यक्ष बनने के बाद मरीना बीच पहुंचे स्‍टालिन, करुणानिधि को दी श्रद्धांजलि

आधिकारिक रूप से पार्टी अध्‍यक्ष बनते ही स्‍टालिन ने पिता के सियासी पदचिन्‍हों पर चलने के संकेत दिए।

नई दिल्लीAug 28, 2018 / 03:08 pm

Dhirendra

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डीएमके अध्‍यक्ष बनने के बाद मरीना बीच पहुंचे स्‍टालिन, करुणानिधि को दी श्रद्धांजलि

नई दिल्‍ली। चेन्नई स्थित डीएमके हेडक्वार्टर में आज हुई अहम बैठक में स्टालिन को पार्टी का अगला अध्यक्ष चुना गया। डीएमके अध्यक्ष के रूप में स्‍टालिन के नाम पर मुहर लगते ही पार्टी के कार्यकर्ता खुशी से झूम उठे। अध्‍यक्ष चुने जाने के बाद वो सबसे पहले मरीना बीच स्थिति अपने पिता करुणानिधि के स्‍मारक पर पहुंचे। इस अवसर पर उन्‍होंने करुणानिधि को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्‍होंने वहां पर पूर्व डीएमके प्रमुख और अपने पिता को श्रद्धांजलि दी। साथ ही पिता के पदचिन्‍हों पर चलते हुए सियासी राजनीति को आगे बढ़ाने के संकेत दिए। आज की अहम बैठक में अध्‍यक्ष बनाने का फैसला होते ही डीएमके की कमान अब उनके हाथों में आ गया है। जनरल काउंसिल की बैठक में कोषाध्यक्ष के लिए वरिष्ठ नेता दुरई मुरुगन के नाम पर मुहर लगी।
भारत रत्न देने की मांग
डीएमके ने जनरल काउंसिल की बैठक में करुणानिधि को भारत रत्न देने का प्रस्ताव पारित किया है। डीएमके ने केंद्र सरकार से करुणानिधि को भारत रत्न देने की मांग की है। बैठक में दक्षिण भारत के लोगों के हित में दशकों से समाज सेवा करने, गरीबों, दलितों, पिछड़ों के उन्‍नयन हेतु काम करने, केंद्र की राजनीति में प्रदेश को अहम स्‍थान दिलाने तथा लोगों के हित में विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए उन्‍हें भारत रत्‍न देने की मांग केंद्र से की गई है। इसके लिए एक प्रस्‍ताव भी पारित किया गया।
अलागिरी का दावा
इससे पहले आपको बता दें कि करुणानिधि का सात अगस्त को निधन हो गया था। उनके निधन के बाद डीएमके के उत्तराधिकारी की जंग तेज हो गई थी। पार्टी से निष्कासित बड़े भाई अलागिरी ने डीएमके पर अपना दावा ठोका था। अलागिरी ने दावा किया कि करुणानिधि के सच्चे कार्यकर्ता मेरे साथ हैं। उन्होंने स्टालिन के नेतृत्व पर सवाल भी खड़े किए थे। साथ ही वो पांच सितंबर को एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि उस दिन वो अपनी अलग पार्टी की भी घोषणा कर सकते हैं। या फिन एकतरफा पार्टी पर अपनी दावा पेश कर सकते हैं।
2014 में पार्टी से निकाल दिए गए थे अलागिरी
चार साल पहले की बात है। अलागिरी के तौर तरीकों और सियासी रुख को देखते हुए एम करुणानिधि ने उन्‍हें पार्टी से चार साल पहले निकाल दिया था। जिस समय उन्‍हें पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखाया गया उस समय वो यूपीए सरकार में कंद्रीय मंत्री थे। फरवरी, 2017 में स्टालिन को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। बर्खास्त होने से पहले दोनों भाइयों के बीच उत्तराधिकार को लेकर संघर्ष चरम पर था।

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