जहां एक ओर नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) पंजाब में कांग्रेस की कमान अपने हाथों में लेने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कैप्टन अमरिंदर उन्हें रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
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नवजोत सिद्धू लगातार पार्टी के बड़े नेताओं के साथ मुलाकात कर रहे हैं और अपने पक्ष में हवा बनाने की कोशिश में हैं। इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता सुखपाल सिंह खैरा ने दावा किया है कि पार्टी के 10 विधायकों ने हाईकमान को पत्र लिखा है और कैप्टन अमरिंदर के प्रति अपना समर्थन जताया है। साथ ही नवजोत सिद्धू से माफी भी मांगने की बात कही गई है।
संयुक्त बयान जारी कर पत्र में विधायकों ने कहा है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य पीसीसी प्रमुख की नियुक्ति पार्टी हाईकमान का विशेषाधिकार है, पिछले दो महीनों में पार्टी की साख गिरी है।
विधायकों ने जताया कैप्टन के प्रति समर्थन
अपने पत्र में विधायकों ने सीएम कैप्टन के प्रति अपना समर्थन जताया है। विधायकों ने कहा है कि 1984 में कैप्टन की वजह से ही दरबार साहिब पर हमले और फिर दिल्ली व देश के बाकी हिस्सों में सिखों के नरसंहार के बाद पंजाब में पार्टी ने सत्ता हासिल की थी। विधायकों ने कहा कि सीएम अमरिंदर को बादल परिवार के हाथों बदले की राजनीति का भी सामना करना पड़ा है।
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विधायकों ने स्पष्ट तौर पर हाईकमान को चेतावनी दी है कि यदि सही दिशा में विचार नहीं किया गया तो अगले विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। विधायकों ने कहा कि नवजोत सिद्धू को कैप्टन से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने सीएम और सरकार को लेकर हाल के दिनों में कई ऐसे ट्वीट किए हैं जिससे उनकी छवि को धक्का पहुंचा है।
विधायकों ने आगे कहा कि सिद्धू को लेकर पार्टी को सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि भले ही वे एक सेलेब्रेटी हैं और पार्टी के लिए एक संपत्ति हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर उनके द्वारा दिए गए बयानों और सरकार की निंदा से पार्टी कमजोर हुई है। इसलिए उन्हें सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए, जिससे पार्टी और सरकार मिलकर काम कर सकें।