ठाकरे ने चुनाव आयोग से महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव ( maharashtra assembly election ) में मतदान के लिए EVM के बजाय मतपत्र का इस्तेमाल करने की बात कही।
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EC से मुलाकात के बाद ठाकरे ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘चुनाव आयोग के अधिकारियों की प्रतिक्रियाएं देखकर मैं यह कह सकता हूं कि वह इस तरह के गंभीर मुद्दे पर उदासीन लगे। हालांकि, मुझे उनसे शून्य उम्मीदें हैं।’
ठाकरे ने आरोप लगाया, ‘पिछले लोकसभा (2019) चुनावों में 370 निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डाले गए और वोटों की गिनती के आंकड़ों में विसंगतियां पाई गई हैं। गिने गए वोटों की संख्या डाले गए वोटों की तुलना में अधिक रही।’
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EVM के पर मनसे प्रमुख ने तंज कसते हुए कहा, ‘हां, अगर मैच पहले से फिक्स है, तब तैयारियों की क्या जरूरत है।’ ठाकरे ने बताया कि उन्होंने आयोग को एक मांगपत्र सौंपा है, जिसमें महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान फिर मतपत्र से कराने की बात कही गई है।
उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों से ईवीएम पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी खुद 2014 तक ईवीएम के खिलाफ थी। उनके नेता इस मामले में अदालत तक गए थे। ठाकरे ने आगे कहा, ‘अचानक ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने इस बारे में बात तक करनी बंद कर दी है।’
वहीं, उन्होंने कहा कि मतपत्र से चुनाव कराए जाने पर ये कहा जाता है कि परिणाम आने में देरी होगी। ठाकरे ने कहा कि भारत में चुनाव दो-तीन महीनों तक चलते हैं, यदि परिणामों की घोषणा में कुछ दिनों की देरी हो भी जाती है, तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं।
उन्होंने कहा कि 2018 में ही उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों को देश में ईवीएम के विरोध में एकजुट होने के लिए कहा था और अपील की थी कि हमें मतपत्र को फिर से प्रयोग में लाना चाहिए। उस समय किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन शायद अब वे इस मुद्दे पर विचार करें।