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शिवसेना के बयान पर प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा का जवाब,सक्रिय राजनीति में वापस नहीं आएंगे पापा

शर्मिष्ठा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि अब उनके पिता दोबारा सक्रिय राजनीति में वापस नहीं आएंगे।

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी

शिवसेना के बयान पर प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा का जवाब,सक्रिय राजनीति में वापस नहीं आएंगे पापा

नई दिल्ली। शिवसेना के एक बयान पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने जवाब दिया है। शर्मिष्ठा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि अब उनके पिता दोबारा सक्रिय राजनीति में वापस नहीं आएंगे। बता दें कि शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में यह कहा था कि यदि 2019 में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो फिर वे प्रणब मुखर्जी को सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री उम्मीदवार बना सकते हैं। इसके अलावा शिवेसना नेता संजय राउत ने भी यह बात दोहराई थी।

शिवसेना ने कहा था 2019 में प्रणब मुखर्जी हो सकते हैं पीएम उम्मीदवार

आपको बता दें कि प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने शिवसेना के इसी बयान पर जवाब दिया है। शर्मिष्ठा ने कहा कि 'मिस्टर राउत, देश के राष्ट्रपति के पद से रिटायर होने के बाद मेरे पिता दोबारा सक्रिय राजनीति में नहीं आएंगे।’ बता दें कि शिवसेना नेता संजय राउत के अलावा मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा था कि 2019 में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर प्रणब मुखर्जी को पीएम उम्मीदवार बना सकती है। बता दें कि संपादकीय में लिखा था ‘आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी को बुलाने के पीछे संघ की यही योजना रही होगी। जो भी एजेंडा होगा वह 2019 के चुनाव के बाद साफ हो जाएगा। उस समय बीजेपी को बहुमत नहीं मिलेगा। देश में माहौल भी ऐसा ही है। ऐसे में लोकसभा त्रिशंकु रही और मोदी के साथ अन्य दल खड़े नहीं रहे तो प्रणब मुखर्जी को ‘सर्वमान्य’ के रूप में आगे किया जा सकता है।’आपको बता दें कि आगे शिवसेना ने लिखते हुए कहा था कि संघ ने कभी भी बाला साबह ठाकरे को अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाया लेकिन आज नेहरूवादी विचारधारा को रखने वाले व्यक्ति को अपने कार्यक्रम में बुलाया है। जबकि संघ हमेशा से नेहरूवादी विचारधारा के खिलाफ रहती है। आगे लिखते हुए शिवसेना ने कहा कि बाला साहब ने कभी भी हिन्दुत्व का छिपा एजेंडा नहीं चलाया था, बल्कि वीर सावरकर की तरह उन्होंने खुलेआम हिंदुत्व का प्रचार किया था। संघ बाला साहब का भार उठाने में असमर्थ था। शिवसेना ने सीध-सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि मुस्लिमों को खुश करने के लिए संघ का यह एक तरीका भर है। संघ मुस्लिमों को खुश करने के लिए इफ्तार पार्टी आयोजित कर रही है।