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बहुमत साबित करने के लिए येदियुरप्पा को 72 घंटे की मिलेगी मोहलत?

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे सियासी मामलों का इतिहास देखें तो लगता है कि येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन नहीं बल्कि 72 घंटे मिलेगें।

नई दिल्लीMay 18, 2018 / 03:13 am

Anil Kumar

supreme court of india

नई दिल्ली। कर्नाटक का सियासी मामला अब राजनीतिक अखाड़े से निकलकर देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंच चुकी है। सुप्रीम कोर्ट को ही इस मामले पर अब फैसला करना है कि कर्नाटक में नये नवेले मुख्यमंत्री बने येदियुरप्पा कुर्सी पर बैठे रहेगें या फिर तस्वीर बदल जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे सियासी मामलों का इतिहास देखें तो लगता है कि येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन नहीं बल्कि 72 घंटे मिलेगें। बता दें कि कर्नाटक के राज्यपाल ने भाजपा को 15 दिन का समय दिया है ताकि वह अपना बहुमत सिद्ध कर सके।

बुधवार के रात कोर्ट ने की थी सुनवाई

आपको बता दें कि जब बुधवार की रात देश की सर्वोच्च अदालत को सियासी मामलों के लिए पहली बार रात के 2 बजे खुलवाया गया तो मानों समूचा देश जाग रहा हो और कर्नाटक के सियासी फैसले पर अपनी नजर बनाए रखा हो। कोर्ट ने जस्टिस एके सीकरी की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए फौरी तौर पर ना तो याचिका को खारिज किया और न हीं शपथ ग्रहण को रुकवाया। अब यह कयास लगाये जा रहे हैं कि जब शुक्रवार को 10 बजे अदालत मामले की सुनवाई करेगी तब येदियुरप्पा को अपनी सरकार बचाने के लिए (बहुमत साबित करने के लिए) कोर्ट कितना वक्त देगा। क्या कोर्ट राज्यपाल के फैसले को बरकरार रखेगा या फिर दिये गये वक्त को घटाकर कम करेगा?

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कोर्ट 3 दिन में बहुमत साबित करने का दे सकता है आदेश

आपको बता दें कि इतिहास को देखते हुए ऐसा समझा जा सकता है कि अदालत भाजपा को 15 दिन नहीं बल्कि 3 दिन का समय दे सकती है। हालांकि अंतिम रुप से निर्णय कोर्ट को ही लेना है। ऐसा कयास लगाये जा रहे हैं कि कोर्ट राज्यपाल के फैसले को पलटते हुए भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 2 दिन का समय दे सकती है। हालांकि बीच में शनिवार और रविवार पड़ने के कारण यह समय सीमा बढ़कर 3 दिन हो सकती है। यानी कोर्ट 48 घंटे या 72 घंटे का समय भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए दे सकती है।

क्या रहा है इससे पहले का इतिहास

आपको बता दें कि कर्नाटक के सियासी लड़ाई से पहले कई राज्यों की सियासी लड़ाई का फैसला कोर्ट में हुआ है। इससे पहले झारखंड में 19 दिन और गोवा में 15 दिन का समय राज्यपाल ने बहुमत साबित करने करने के लिए सरकार गठन करने वाली पार्टी को दिया था लेकिन जब विपक्षी दलों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो अदालत ने राज्यपाल के फैसले को पलटते हुए 48 घंटे में बहुमत साबित करने का आदेश जारी किया।

2005 में झारखंड में हुआ था ऐसा ही मामला

आपको बता दें कि झारखंड में 2005 में ऐसा ही मामला सामने आया था। उस समय शिबू सोरेन के नेतृत्व में कांग्रेस और जेएमएम के गठबंधन को कम सीटें होने के बावजूद राज्यपाल शिब्ते रजी ने सरकार बनाने को आमंत्रित किया और बहुमत साबित करने के लिए 19 दिन का समय दिया। लेकिन भाजपा ने इस मामले को कोर्ट में चैलेंज किया। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 48 घंटे में बहुमत साबित करने का आदेश दिया। हालांकि सदन में सोरेन बहुमत हासिल नहीं कर पाए और सरकार गिर गई। बता दें कि कांग्रेस और जेएमएम गठबंधन के पास मात्र 26 सीटें थी जबकि भाजपा के पास अकेले 36 सीटें थी।

दूसरा मामला गोवा में घटी

आपको बता दें कि ऐसा ही एक दूसरा मामला बीते वर्ष गोवा में भी घटी थी। जब भाजपा की कम सीट होने के बावजूद राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने उन्हें सरकार बनाने का न्यौता दिया और बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त। लेकिन जब कांग्रेस ने कोर्ट में चैलेंज किया तो अदालत ने 48 घंटे में बहुमत साबित करने के आदेश दिए। हालांकि यहां पर भाजपा ने अपना बहुमत को सिद्ध कर दिया। बता दें कि कांग्रेस ने 17 सीटें जीतीम थी जबकि भाजपा ने महज 13 सीट।

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