इस बीच महाराष्ट्र ( Maharashtra politics ) से बीजेपी के लिए एक अच्छी खबर आई है। यहां बीजेपी की पुरानी सहयोगी पार्टी रही शिवसेना ( Shivsena ) ने बीजेपी को सकारात्मक संकेत देना शुरू कर दिया है।
दिल्ली में करारी हार के बाद बीजेपी आलाकमान का फूटा गुस्सा, जेपी नड्डा ने केंद्रीय मंत्री को किया तलब महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन महाविकास अघाडी के साझेदारों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच तनातनी बढ़ती दिख रही है। इसकी बड़ी वजह है मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से लिए जा रहे निर्णय। जी हां सीएम उद्धव ठाकरे ने एल्गार परिषद् मामले में यू-टर्न लेने के बाद एक और मुद्दे पर महाविकास अघाड़ी को झटका दिया है।
शिवेसना ने एनसीपी और कांग्रेस की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) पर आगे बढ़ने का फैसला लिया है।
दिल्ली में हार के बाद बीजेपी को लगने जा रहा है एक और बड़ा झटका, अब कम होने वाली है सांसदों की संख्या राजनीतिक जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राज्य में 1 मई से NPR की प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं। वहीं कांग्रेस और एनसीपी इस पूरी कवायद का खुलेआम विरोध कर रही है। कांग्रेस जहां NPR को एनआरसी ( NRC ) का मुखौटा करार दे रही है, वहीं NCP ने भी इसे लेकर सार्वजनिक रूप से अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं।
इससे पहले भी शिवसेना ने दिए संकेत
हालांकि यह पहला मौका नहीं, जब महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन में इस तरह मतभेद दिखे हों। इस पहले NCP चीफ शरद पवार ने एल्गार परिषद मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपे जाने को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार की शुक्रवार को आलोचना की।
पवार ने मीडिया से कहा कि केंद्र ने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपकर ठीक नहीं किया, क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है।