नई दिल्ली। दक्षिण के राज्यों में अपने पैर पसारने को आतुर भाजपा के लिए
वेंकैया नायडू बहुत स्वाभाविक विकल्प थे। वे भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित विभिन्न पदों पर तो रहे ही हैं, राज्य सभा का भी लंबा अनुभव है। उप राष्ट्रपति के तौर पर उन्हें राज्य सभा के सभापति की जिम्मेवारी भी संभालनी होगी। गंभीर से गंभीर विषयों पर बहुत सहजता से हिंदी और अंग्रेजी में तुकबंदी मिलाने के लिए मशहूर वेंकैया इस समय केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ ही आवास और शहरी विकास मंत्रालय भी संभाल रहे हैं। पिछले कुछ समय के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की तारीफ में भी कई मुहावरे गढ़े हैं। आंध्र प्रदेश में पैदा हुए वेंकैया यहां से विधानसभा में रहने के साथ ही कर्नाटक से राज्य सभा के सदस्य रहे हैं।
दिल्ली की राजनीति में लंबा अनुभव
दक्षिण के दूसरे राज्यों की राजनीति से भी वे लगातार जुड़े रहे हैं। दक्षिण के राज्यों में भाजपा के लिए मुश्किल काम को पूरा करने की जिम्मेवारी अक्सर उनके कंधों पर ही डाली जाती रही है। भाजपा के लिए अगले लोकसभा चुनाव के लिहाज से तो दक्षिण में अपनी पैठ जमाना जरूरी है ही अगले ही साल कर्नाटक के विधानसभा चुनाव भी होने हैं। वर्ष 2002 में ही भाजपा अध्यक्ष बने वेंकैया का दिल्ली की राजनीति में लंबा अनुभव हो चुका है। उनकी हैदराबादी पुट लिए हिंदी उत्तर भारत के लोगों को भी सुहाती है। इसी तरह विवादों से दूर रहना भी उनके पक्ष में गया है। इस पद के लिए उनके अलावा महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव और मणिपुर की राज्यपाल
नजमा हेपतुल्ला जैसे नाम भी लंबे समय से चल रहे थे।
उषा-पति से उप राष्ट्रपति
हाल में जब उनसे पूछा गया था कि क्या वे उप राष्ट्रपति या राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल हैं तो उन्होंने अपने खास अंदाज में कहा था, “ना तो मैं राष्ट्रपति बनना चाहता हूं, ना ही उप राष्ट्रपति बनना चाहता हूं। मैं तो सिर्फ उषा-पति (उषा उनकी पत्नी का नाम) बन कर ही खुश हूं।”
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