कर्नाटक में सीएम कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में पीएम मोदी के विरोदी दलों का महाकुंभ लगा था। महागठबंधन के उक्त शक्ति प्रदर्शन में केजरीवाल भी शामिल हुए थे। वहां लौटने के बाद उन्होंने कांग्रेस से महागठबंधन में शामिल होने को लेकर पैरवी की थी। लेकिन दिल्ली प्रदेश इकाई अजय माकन सहित पूर्व सीएम शीला दीक्षित सहित अधिकांश नेताओं की सहमति न होने से उन्होंने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस बीच सीएम केजरीवाल दिल्ली में बिजली, पानी, परिवहन व्यवस्था, प्रदूषण को लेकर जनता की नाराजगी से पार पाने के लिए एलजी हाउस में धरने पर बैठ गए। केजरीवाल के इस शैली को शीला दीक्षित ने गलत करार दिया। रविवार को कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कहा कि चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों का केजरीवाल से मिलने का निर्णय उनका निजी मसला है। हकीकत यह है कि केजरीवाल असंवैधानिक तरीके से दिल्ली में काम कर रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस के लिए उनका समर्थन करना संभव नहीं है।
आपको बता दें कि पिछले कुछ महीने पहले तेलांगना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने थर्ड फ्रंट की वकालत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व अन्य नेताओं से की थी। उनके इस आइडिया को सीएम ममता ने काफी पसंद किया। उसके बाद से वो थर्ड फ्रंट की कवायद में जुटी हैं। दिल्ली में थर्ड फ्रंट को एक आकार देने के लिए कई बार दौरा कर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सहित अन्य नेताओं से मिल चुकी है। कर्नाटक में सीएम कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में वो काफी सक्रिय दिखीं। जब से सीएम केजरीवाल विभिन्न मुद्दों को लेकर एलजी हाउस में धरने पर बैठे हैं वो सक्रिय हैं। इसका सीधा असर यह दिखा कि वो केजरीवाल से मिलने के लिए केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के सीएम को भी राजी करने में कामयाब हो गई। उनकी ये पहल फिलहाल भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के लिए झटका है। ऐसा इसलिए कि कुमारस्वामी कांग्रेस के समर्थन से कर्नाटक में सीएम बने हैं। वहीं, शनिवार को वो ममता बनर्जी के साथ नई दिल्ली में मंच शेयर करते नजर आए। सीएम आवास पर सुनीता केजरीवाल से सबके साथ मिले भी। इससे साफ जाहिर होता है कि कुमारस्वामी कांग्रेस के दबाव से मुक्त होना चाहते हैं।