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जफरयाब जिलानी: AIMPLB सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक बिल को देगा चुनौती

Triple Talaq Bill को सुप्रीम कोर्ट में उठाएगा AIMPLB
AIMPLB बिल को चुनौती देने के लिए खामियों को बनाएगा आधार
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बिल को बताया महिला विरोधी

नई दिल्लीJul 31, 2019 / 10:52 am

Dhirendra

jafaryab jilani

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नई दिल्‍ली। विपक्षी दलों के नेता लोकसभा के बाद राज्‍यसभा में भी तीन तलाक बिल पास होने के मुद्दे पर एक-दूसरे को जिम्‍मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्लनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जीलानी ने कहा है कि वो इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
उन्‍होंने ट्वीट कर बताया है कि इस मामले में सरकार की नीयत और बिल की खामियों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का आधार बनाएंगे। जीलानी ने मंगलवार के दिन को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में काला दिन बताया।

लीगल कमेटी की बैठक में लेंगे फैसला
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्लनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB ) के सदस्य जफरयाब जिलानी के मुताबिक जल्द ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्लनल लॉ बोर्ड के लीगल कमेटी की एक बैठक होगी। इस बैठक में बिल की कानूनी खामियों का अध्ययन कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया जाएगा।
talaq
कौन करेगा बच्‍चों की परवरिश

तीन तलाक बिल के मामले में जीलानी को सबसे ज्यादा एतराज पति को जेल भेजने के प्रावधान को लेकर है। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में इस प्रावधान को उचित नहीं ठहराया जा सकता।
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में तलाकशुदा पत्नी के बच्चों की परवरिश आखिर कौन करेगा?

AIMPLB ने की इस बिल की निंदा

दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB ) ने जारी बयान में कहा है कि मुस्लिम महिलाओं के विरोध के बावजूद मोदी सरकार ने इसे संसद के दोनों सदनों से पास करवाकर अच्‍छा नहीं किया है। हम लाखों मुस्लिम महिओं की तरफ से इस बिल की निंदा करते हैं।
विपक्षी दलों की कमजोरी का सरकार ने उठाया लाभ

बता दें कि मंगलवार को मोदी सरकार में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्‍यसभा में पेश किया था। विपक्षी एका के अभाव में केंद्र सरकार राज्‍यसभा में बहुमत न होने के बावजूद इस बिल को पास कराने में सफल हुई।
तीन तलाक बिल राज्‍यसभा से पारित होने की घटना को सरकार ऐतिहासिक करार दिया है। राज्यसभा में बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में सिर्फ 84 वोट पड़े।

तीन तलाक बिल 26 जुलाई को लोकसभा के इसी सत्र में पहले ही पास हो चुका है। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह बिल कानून में तब्दील हो जाएगा।
वहीं मुस्लिम समाज का एक हिस्सा इसके खिलाफ खड़ा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्लनल लॉ बोर्ड ने इस बिल को मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

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