गांव का फैसला : सरकारी स्कूल (government schools)में ही पढ़ेंगे बच्चे, असर : नामांकन बढ़ा 50 तक
शिक्षा जगत में देश के नाम महुडिय़ा गांव का संदेश(education news) : स्कूल में संसाधनों की व्यवस्था भी करेंगे ग्रामवासी
गांव का फैसला : सरकारी स्कूल (government schools)में ही पढ़ेंगे बच्चे, असर : नामांकन बढ़ा 50 तक
छोटीसादड़ी(प्रतापगढ़). जिले के छोटे से गांव महुडियां ने सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार के लिए बड़ा संदेश दिया है। गांव के लोगों ने सरकारी विद्यालय की हालत देखते हुए दो दिन पहले निर्णय किया कि वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में ही पढ़ाएंगे। स्कूल में संसाधनों के स्तर पर जो भी कमी रहेगी। वह ग्रामीण अपने स्तर पर पूरी करेंगे। ग्रामीणों ने इस निर्णय को सोमवार को स्कूल खुलने के पहले दिन ही क्रियान्वित भी कर दिया। निजी स्कूलों में पढ़ रहे 50 बच्चों को ग्रामीणों ने वहां से निकालकर सोमवार को अपने गांव के सरकारी स्कूल में पढऩे भेजा। अब इस स्कूल में नामांकन संख्या 66 से बढकऱ 116 हो गई।
गांव के अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए कई वर्षों से तहसील मुख्यालय छोटी सादड़ी भेज रहे थे। दो दिन पहले गांव के युवाओं ने बड़े-बुजुर्गों के साथ मिलकर एक पहल की। गांव में जणवा समाज की चौपाल का आयोजन किया गया और सर्वसम्मति से निर्णय किया गया कि गांव के बच्चे अब यहां के सरकारी विद्यालय में ही पढऩे जाएंगे और वहां संसाधनों केस्तर पर जो भी कमी होगी, उसको स्वयं गांव के लोग अपने स्तर पर दूर करेंगे। इस निर्णय के बाद देखते ही देखते एक ही दिन में विद्यालय में नामांकन संख्या बढ़ गई। निजी स्कूलों से 50 बच्चे सरकारी स्कूल में आ गए। जबकि वहां वे अपनी फीस जमा करा चुके थे। अब गांव के राजकीय मिडिल स्कूल में सोमवार को पहल ही दिन 116 बच्चे हो गए। गांव के सेवानिवृत शिक्षक यशराज जणवा और शिक्षक रामनारायण जणवा का कहना है कि देश में अधिकांश प्रशासनिक उच्च पदों पर और समाज के अन्य क्षेत्रों में भी उच्च शिखर पर सरकारी शिक्षण संस्थानों से निकल कर अधिकांश बच्चे पहुंचे हैं। ऐसे में हमारे गांव की स्कूल और बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए हमे यह फैसला लिया।
ग्रामीण उठाएंगे अतिरिक्त शिक्षकों का भार: गांव के वार्ड पंच अमृत लाल जणवा व गोपाल जणवा का कहना था कि जब तक सरकार हमारे गांव के विद्यालय में शिक्षकों की पूर्ति नहीं कर देती, तब तक हम अपने स्तर पर पैसा इक_ा करके अस्थाई शिक्षकों के वेतन की व्यवस्था करेंगे और अब दो अस्थाई शिक्षक गांव के सहयोग से रेखा जणवा व मनीषा जणवा को बच्चों को पढ़ाने के लिए विद्यालय में लगा दिए गए। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके गांव के युवा गोपाल जणवा ने भी प्रतिदिन 2 घंटे नि:शुल्क पढ़ाने का संकल्प लिया है। गांव वालों का कहना था कि आठवीं के बाद भी वे अपने बच्चों को पंचायत मुख्यालय गुमाना गांव स्थित सरकारी स्कूल में ही पढ़ाएंगे।
गांव के लोग कई संगठनों में है सक्रिय : स्थानीय निवासी भारतीय किसान संघ के छोटी सादड़ी तहसील अध्यक्ष राजमल जणवा ने बताया कि गांव के युवा और बुजुर्ग कई सामाजिक, धार्मिक और अन्य संगठनों में लगातार सक्रिय रहते हुए सकारात्मक सोच के साथ काम कर रहे हैं। उसी का परिणाम है कि सब ने मिलकर हमारे गांव की आने वाली पीढ़ी को सरकारी विद्यालय में पढ़ाने का निर्णय किया है। उन्होंने बताया कि गांव में पक्षियों के परिंडे लगाने, उनमें पानी भरने, पक्षियों को अनाज डालने, पशुओं के लिए पशु खेर बनाकर उसमें पानी भरने, गौशालाओं में सेवाएं देने, पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे लगाने, रक्तदान करने और गांव में पिछले दो वर्षो से सामूहिक दीपावली मनाने जैसे काम किए जा रहे हैं।
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