यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति वाई.के. श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कानपूर नगर के पैरेंट गार्जियन एसोसिएशन व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता रमेश उपाध्याय का कहना है कि सरकार की इस नीति के चलते युवाओ सहित बच्चो पर बुरा असर पड़ रहा है। शादी समारोहों में परिवार शामिल होता है और समारोह में नशे की अनुमति देने से बच्चों पर नशे के प्रति जिज्ञासा बढ़ेगी।
आबकारी विभाग ऐसे समारोहों में शराब, हुक्काबार आदि नशे के इस्तेमाल की अनुमति दे कर नशे के कारोबार से राजस्व वसूली में लगा है। जबकि राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानन्द पांडेय का कहना था कि केवल शराब की अस्थायी अनुमति दी जाती है। वह भी आयोजक के मांगे जाने पर ही दिया जाता है। यह लाइसेंस साढ़े सात बजे से साढ़े 10 बजे तक ही दिया जाता है। अन्य नशे अफीम, चरस, गांजा आदि की अनुमति नहीं दी जाती। इस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की कि क्या सरकार नशे का कारोबार कर राजस्व वसूलना चाहती है।
BY- Court Corrospondence