नियम के मुताबिक वन भूमि में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य, पेड़ की कटाई व मिट्टी की खुदाई का कार्य बिना विभाग की अनुमति के गैर कानूनी माना जाता है। वन विभाग ने धरमजयगढ़ रेलवे लाइन बिछाने के लिए अनुमति तो दी, लेकिन यह अनुमति कहीं नहीं दी गई कि ठेकेदार वन क्षेत्र में कहीं से भी मिट्टी व अन्य खनिज की खुदाई कर सके, लेकिन ठेकेदार वन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से यह सारा खेल खुलेआम खेल रहा है। उसके द्वारा वन क्षेत्र से लगते कांटाझरिया और राटरोट क्षेत्र में लाखों हाईवा मिट्टी की अवैध खुदाई कर उसे रेलवे लाइन में डाला गया है। यह सारा खेल विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से हुआ है। जब यह मामला उजागर हुआ तो जिम्मेदार अधिकारी अपने गुनाहों पर पर्दा डालने में लगे हुए हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि जिस जगह मिट्टी की खुदाई की गई है वह राजस्व की जमीन है।
पीपीटी और मुनारा लगता है वन भूमि में
जहां भी वन भूमि होती है तो व विभाग के अधिकारी पहचान के लिए पीपीटी और मुनारा की पुताई कर देते हैं। इससे लोग यह जान जाते हैं कि वह वन भूमि है। जिस जगह पर रेलवे ट्रैक बनाने वाले ठेकेदार ने मिट्टी की खुदाई की है वहां भी वन विभाग का मुनारा और पीपीटी का निशान लगा है, लेकिन वन अधिकारियों का कहना है कि यह पीपीटी और मुनारा आखिरी छोर पर लगा है और जहां मिट्टी खोदी गई है वह राजस्व की जमीन है।
बारिश में धराशायी हो जाएंगे वृक्ष
जिस जगह पर ठेेकेदार ने मिट्टी को खोदा है वहां सैकड़ों की संख्या में बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए हैं। ठेकेदार ने पेड़ के चारों तरफ की मिट्टी काफी गहराई से निकाल लिया है। इससे अब पेड़ वहां ठूंठ के रूप में दिख रहे हैंं। लोगों का कहना है कि बारिश में मिट्टी के कटाओं से सभी वृक्ष धराशाई हो जाएंगे और सूख जाएंगे।