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रायगढ़

मेकाहारा के सिटी स्कैन मशीन नहीं हो सका शुरू

अधिक राशि देकर निजी लैब में कराना पड़ रहा जांच उच्चाधिकारियों के निर्देशों का भी नहीं हुआ पालन

रायगढ़May 22, 2022 / 08:39 pm

CHITRANJAN PRASAD

raigarh

मेकाहारा के सिटी स्कैन मशीन नहीं हो सका शुरू

रायगढ़. मेडिकल कालेज अस्पताल में लगे सिटी स्कैन मशीन सालों से बंद पड़ा हुआ है, जिसे जांच के दौरान हर बार इसे सुधार कराने का निर्देश दिया जाता है, लेकिन विभाग के उदासीन के कारण इसका सुधार नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यहां उपचार कराने आने वाले मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
गौरतलब हो कि रायगढ़ जिला औद्योगिक नगरी होने के बाद यहां हर दिन सडक़ हादसे होते रहते हैं। साथ ही जब से मेडिकल कालेज अस्पताल शुरू हुआ है, तब से बेहतर उपचार के लालसा को लेकर पड़ोसी जिला सहित दिगर प्रांत ओडिशा से भी लगातार मरीजों का आना-जाना रहता है, लेकिन यहां सुविधाओं में कमी होने के कारण मरीज व उसके परिजनों काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन को भी यहां की समस्या की जानकारी है, लेकिन इसके बाद भी इन समस्याओं को दूर नहीं किया जा रहा है, जिससे काफी दिक्कत हो रही है।
इस संबंध में डाक्टरों की माने तो मेकाहारा में हर दिन करीब आधा-दर्जन से अधिक मरीज सडक़ दुर्घटना सहित अन्य कारणों से घायल होकर पहुंच रहे हैं। जिससे इन मरीजों का उपचार करने से पहले जांच जरूरी होता है, जिसमें सबसे पहले सिटी स्कैन कराना जरूरी होता है ताकि उसके बीमारी की जानकारी मिल सके। ऐसे में डाक्टरों द्वारा प्रथम दृष्टया सिटी स्कैन लिख दिया जाता है, लेकिन यहां इसकी सुविधा नहीं होने के कारण मरीज के परिजनों को निजी लैब का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में जब मरीज व परिजन वहां पहुंचते हैं तो लैब संचालक द्वारा पर्ची व मरीज की हैसियत को देखते हुए रेट बताया जाता है, ऐसे में तीन हजार रुपए से लेकर चार हजार रुपए तक लिया जाता है, जिससे दूर-दराज से आने वाले मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अगर यह सुविधा अस्पताल ेंमें उपलब्ध होता तो काफी राहत मिलता।
क्या कहते हैं मरीज
इस संबंध में जांजगीर जिला निवासी एक मरीज के परिजन ने बताया कि शुक्रवार को सडक़ हादसे में उसके घर के दो सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसे अस्पताल पहुंचते ही डाक्टर द्वारा सिटी स्कैन के लिए बोला गया, ऐसे में यह सुविधा अस्पताल नहीं होने के कारण सबसे पहले एंबुलेंस के किराए को लेकर किचकिच हुआ, फिर जब सिटी स्कैंन लैब पहुंचे तो वहां का रेट सुनकर इनके पैर तले जमीन खिसक गई, लेकिन जब परिजन ही जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे तो किसी तरह जांच कराना तो मजबूरी था, ऐसे में उसे उधारी में रुपए लेकर छह हजार रुपए पटाना पड़ा, इसके बाद उसकी जांच हो सकी। इस दौरान परिजनों द्वारा रेट कम करने काफी गुहार लगाई लेकिन उनकी बातों को अनसुना करते हुए यहां तक कहा गया कि कराना है तो कराओ वरना जा सकते हों, ऐसे में अगर यह सुविधा यहां उपलब्ध होता तो मरीजों को काफी लाभ होता
कहीं सेटिंग का तो खेल नहीं
इस संबंध में जानकारों की मानें तो हमेशा सरकारी अस्पताल का ही सिटी स्कैन मशीन क्यों खराब होता है, ऐसे में कहीं निजी लैब को लाभ पहुंचाने के लिए तो यहां के मशीनों का सुधार कार्य नहीं कराया जाता, हालांकि निजी लैब संचालकों द्वारा जो डाक्टर जितने केस भेजते हैं उनको कमीशन देने की बात सामने आ रही है, ऐसे कहीं ऐसा तो नहीं कि निजी लैब को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी मशीनों को खराब घोषित कर दिया गया है, ताकि मरीज मजबूरी में बाहर से जांच कराएं।

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