मिली जानकारी के अनुसार इस संबंध में शासन का पत्र भी जिला मुख्यालय में पहुंच गया है। जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि बच्चों के अधिकार व सरंक्षण को लेकर सप्ताह के तीन दिन काफी कम है। जबकि बच्चों से जुड़े मामले कोई दिन देख कर नहीं हाते हैं। जबकि समिति के एक तय समय पर बैठने की वजह से उक्त मामले में उचित पहल करने में देरी होती है, जो कहीं ना कहीं बच्चों के अधिकर व सरंक्षण को प्रभावित करता है। जिसे देखते हुए अब पूरे माह सीडब्ल्यूी को बैठने को लेकर पत्र जारी किय गया है। हालांकि उनके नियमित रुप से कार्यालय में मौजूद रहने को लेकर एक नई व्यवस्था भी की गई है।
पत्नी के मुंह पर पति ने मारा मुक्के पे मुक्का, टूट गए दांत, जानें क्या थी वजह… समिति के अध्यक्ष व सभी सदस्य, पहले से तय सप्ताह के तीन दिन सोमवार, मंगलवार व शुक्रवार को एक साथ बैठ कर अपने निर्णय लेंगे। जबकि सप्ताह के अन्य दिन समिति के अध्यक्ष व सदस्य क्रमवार कार्यालय में बैठ कर अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे। जिससे बच्चों से जुड़े कोई भी प्रकरण में जरुरत से हिसाब से कदम उठाए जा सके।
इधर मानदेय भी बढ़ाया गया
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व सदस्य को प्रति बैठक एक हजार रुपए मिलता है। माह में १२ दिन बैठक करने से उन्हें १२ हजार रुपए बतमौर मानदेय दिया जाता था। पर अब नई व्यवस्था में उनका मानदेय १००० से बढ़ा कर १५०० रुपए कर दिया गया है। जिससे अब उन्हें प्रत्येक बैठक में शामिल होने पर १५०० रुपए के मानदेय के हिसाब से भुगतान किया जाएगा।
जेजेबी में भी लागू हुई नई व्यवस्था
बाल कल्याण समिति के अलवा किशोर न्याय बोर्ड की कार्यशैली में कुछ अहम बदलाव किया गया है। सप्ताह में दो दिन बैठने के प्रावधान के बीच रायगढ़ में एक ही दिन यानि बुधवार को पूरी टीम बैठती है। जिसमें संप्रेक्षण गृह से जुड़े मामलों का निराकरण किया जाता था। अब बुधवार का ेपूरी टीम जबकि शेष दिन जेजेबी के सदस्य, कार्यालय में मौजूद होकर बच्चों के अधिकार व संरक्षण से जुड़े मामले को देखेंगे। हालांकि अंतिम निर्णय, बोर्ड के मजिस्ट्रेट व अन्य सदस्यों के मौजूदगी में ही लिया जाएगा। सीडब्ल्यूसी की तर्ज पर जेजेबी के सदस्यों का भी मानदेय १००० रुपए से बढ़ा कर १५०० रुपए कर दिया गया है।
-बाल कल्याण समिति व किशोर न्याय बोर्ड के समय में कुछ अहम बदलाव किया गया है। अब समिति व बार्ड के सदस्य तय दिन को पूरी टीम के साथ व अन्य दिन में क्रमवार बैठ कर अपने कार्य का संपादन करंेगे। जिससे बच्चों के अधिकार व सरंक्षण से जुड़े मामलों में समय से उचित पहल की जा सके- दीपक डनसेना, जिला बाल सरंक्षण अधिकारी, रायगढ़