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रायगढ़

जहां मक्के का एक दाना नहीं होता था खरीदी, वहां 115 किसानों का हुआ पंजीयन

इस सत्र अब तक 45 किसानों ने जहां 810 क्विंटल मक्का विक्रय किया

रायगढ़Mar 04, 2019 / 05:18 pm

Rajkumar Shah

इस सत्र अब तक 45 किसानों ने जहां 810 क्विंटल मक्का विक्रय किया

इस सत्र अब तक 45 किसानों ने जहां 810 क्विंटल मक्का विक्रय किया

रायगढ़. जिस जिले में मक्के का एक दाना खरीदी नहीं होता था वहां इस सत्र अब तक 45 किसानों ने जहां 810 क्विंटल मक्का विक्रय किया है वहीं 31 मई तक 70 और किसान मक्के का विक्रय करेंगे। मक्के का समर्थन मूल्य तय होने के बाद भी नागरिक आपूर्ति निगम और समितियों के पदाधिकारियों की मनमानी के कारण किसानों से मक्के की खरीदी नहीं की जाती थी।

इसको लेकर पत्रिका ने खरीदी वर्ष 2017-18 में इसे प्रमुखता से उठाया जिसके बाद जिले में पहली बार मक्के की खरीदी शुरू हुई। सत्र 2017-18 में 12 किसानों से 604 एमटी मक्के की खरीदी की गई। इसके बाद खरीदी वर्ष 2018-19 में 112 किसानों ने मक्का विक्रय करने के लिए पंजीयन कराया। जिसको देखते हुए शासन ने धरमजयगढ़ क्षेत्र में 32 और लैलूंगा क्षेत्र में 17 समितियों में मक्का खरीदी के लिए निर्देश दिया। इस बार 1 नवंबर से अभी तक की स्थिति में 45 किसानों ने 810.45 क्विंटल मक्का विक्रय कर चुके हैं।

पंजीकृत किसानों के आकड़ों पर गौर किया जाए तो अभी करीब 70 किसान और मक्के का विक्रय करेंगे। नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी व समिति के पदाधिकारियों की माने तो अंतिम तिथी 31 मई तक 115 पंजीकृत किसान पूरे मक्के का विक्रय समितियों में करेंगे। जबकि खरीदी वर्ष 2017-18 के पूर्व की स्थिति पर गौर किया जाए तो कभी भी मक्के का एक दाना खरीदी नहीं किया जाता था और अधिकारी यह दावा करते थे कि जिले में मक्के का उपज नहीं है और कुछ मात्रा में है तो वह खरीदने लायक नहीं है। जबकि खरीदी में इजाफा होते जा रहा है।
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खरीदी को देख इस बार बढ़ाया गया लक्ष्य
खरीदी वर्ष2017-18 व इसके पूर्व की स्थिति पर गौर किया जाए तो मक्के की खरीदी के लिए शासन द्वारा तय लक्ष्य में कोई बृद्वि नहीं होती थी लेकिन 2017-18 में 604 एमटी मक्के की खरीदी होने के बाद शासन ने जिले के लिए लक्ष्य में बढ़ोत्तरी करते हुए 886 एमटी मक्के की खरीदी का लक्ष्य दिया है। इस बार यह लक्ष्य भी पूरा होने की संभावना जताई जा रही है। इससे किसान प्रोत्साहित हो रहे हैं।


यहां कर रहे थे हतोत्साहित
मक्के के फसल को प्रोत्साहित करने के लिए शासन कई साल पहले ही समर्थन मूल्य तय की है। हर साल इसमें कुछ प्रतिशत की बृद्वि भी हो रही है लेकिन जिले के आला अधिकारी दो साल पहले तक की स्थिति में मक्के की फसल को लेकर किसानों को प्रोत्साहित करने के बजाए हतोत्साहित करते थे। जिसके कारण किसान मजबूरीवश मक्के को औने-पौने दामों में विक्रय कर रहे थे।

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