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रायगढ़

यहां बिना मान्यता के ही हो रहा शिशु मंदिर का संचालन, शिक्षा विभाग है मौन

वर्तमान में इस स्कूल में 119 बच्चे अध्यापन कर रहे हैं

रायगढ़Sep 15, 2018 / 01:42 pm

Shiv Singh

वर्तमान में इस स्कूल में 119 बच्चे अध्यापन कर रहे हैं

वर्तमान में इस स्कूल में 119 बच्चे अध्यापन कर रहे हैं

रायगढ़. गुढिय़ारी ग्राम पंचायत में बिना मान्यता के सरस्वती शिशु मंदिर के संचालन का आरोप गांव के लोगों ने लगाया है। गांव की सरपंच ने कहा कि वर्तमान में इस स्कूल में 119 बच्चे अध्यापन कर रहे हैं जिनका भविष्य अंधकार में है। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत विभाग के अधिकारियों से करते हुए कार्रवाई करने की मांग की है।
वहां के आचार्यों की माने तो वर्ष 2002 से संचालित इस स्कूल की ना तो मान्यता है और ना ही पंजीयन है इतना ही नहीं समिति का भी गठन नहीं किया गया है। यहां पहली से पांचवी तक की कक्षाएं हैं और प्रति माह ं पालको से 140 से 150 रुपए तक की फीस भी ली जाती है। इस स्कूल में 119 बच्चे पढऩे आते हैं ।

लोगों ने बताया कि इस स्कूल का संचालन शासकीय भवन में किया जा रहा है। भव की स्थिति काफी जर्जर है। बारिश के दिनों में सभी कमरों में पानी टपकता रहता है उसके बाद भी छोटे-छोटे बच्चों को उस भवन में बैठा कर पढ़ाई लिखाई कराई जाती है। ऐसे में किसी दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है। लोगों ने बताया कि यहां के एक व्यक्ति द्वारा अपने आप को संस्था का अध्यक्ष बता रहा है और यह भी कहा जा रहा है कि यह स्कूल सारंगढ के सरस्वती शिशु मंदिर से संबंधित है। मिली जानकारी के अनुसार शिशु मंदिर को 2014 मे शासकीय अनुदान 1 लाख को मिला था जिसे कूट रचना कर सन 2014 में ही आहरण कर के बैंक के खाते से निकाल लिया गया। इसके लिए अब सवाल उठाए जा रहे हैं।
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-स्कूल बंद करने के लिए कई बार गांव में बैठक कर कहा गया उसके बावजूद भी उन लोगों द्वारा स्कूल बंद नहीं किया गया, जिसके बाद बीईओ व अन्य अधिकारियों को शिकायत की गई है।
-मीना भारद्वाज, सरपंच गुढिय़ारी

-यह स्कूल वर्ष 17- 18 से सारंगढ के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल की संस्था है और एक लाख अनुदान वाली जहां तक बात है तो उसके लिए जमीन भी खरीद ली गई है जो एक लाख से अधिक की है।
-रमेश तिवारी, सशिमं, अध्यक्ष

-बार-बार पंचायत बैठक बुलाकर रमेश तिवारी को अनुदान की जो राशि निकाली गई है, और जो जमीन देने की बात कही गई थी पर सूचित किया गया है। लेकिन अनुदान या जमीन नहीं दी गई है।
-महेत्तर पटेल, ग्रामीण

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