मिली जानकारी के अनुसार पुलिस जब जांजगीर-चांपा निवासी फरार आरोपी बबलू चंद्रा के गांव बमनीडीह पहुंची और आरोपी के घर की पतासाजी करने लगी तो पुलिस को देख कुछ ग्रामीण समझ गए कि आखिर माजरा है। वहीं जब पुलिस आरोपी के घर गई तो उन्हें पता चला कि आरोपी तो कुछ दिनों से घर नहीं आया है। इसके बाद पुलिस ने गांव वालों से उसकी कुंडली निकाली तो धीरे-धीरे मामला सामने आता गया। पुलिस को पता चला कि आरोपी कई सालों से जांजगीर जिला सहित आसपास के जिलों व अन्य प्रांतों में चारपहिया वाहनों की चोरी करता है। जिसमें वह गांजा तस्करी का काम करता है। ताकि वाहन के पकड़े जाने पर भी पुलिस इस मामले में उलझी रहे। वहीं वह अन्य प्रांतों में गांजा की सप्लाई कर गांव में भी गांजा की बिक्री करता है। चूंकि पूरे गांव वाले उसके काले करतूत को जान रहे हैं इसलिए दिखावे के लिए वह पिछले दो साल से बमनीडीह गांव में नर्मदा पब्लिक स्कूल का संचालन कर रहा है। जिसमें कक्षा आठवीं तक बच्चों को पढ़ाया जाता है। पुलिस का कहना है कि आरोपी को पकडऩे के लिए उसके गांव में भी मुखबिर का जाल बिछाया गया है, वहीं पुलिस पल-पल आरोपी के संबंध में जानकारी हासिल कर रही है, ताकि उसे पकडऩे में पुलिस को आसानी हो।
नहीं मिला उक्त नाम-नंबर का कोई गाड़ी मालिक
तलाशी के दौरान पुलिस को सूमो कार में एक नंबर प्लेट भी मिला था। जिसकी जांच करने पर पता चला था कि उक्त कार चांपा निवासी राकेश साहू पिता रामचरण साहू के नाम पर है। ऐसे में पुलिस उसे गिरफ्तार कर लाने वाली थी, लेकिन पुलिस जब राकेश साहू के पते पर पहुंची तो पता चला कि उस नाम का कोई सख्श इस मोहल्ले में कभी रहा ही नहीं है। ऐसे में पुलिस जांजगीर आरटीओ ऑफिस में जाकर उसके बारे में पतासाजी करने की बात कह रही है। वहीं पुलिस का मानना है कि आरोपी ने घटनाकारित सूमो कार को भी चोरी कर लाया था।
रायगढ़ पुलिस ने चोरी केस में किया था गिरफ्तार
सरिया टीआई आशीष वासनिक ने बताया कि कुछ सालों पहले रायगढ़ क्राइम ब्रांच ने बबलू चंद्रा को एक बोलेरो चोरी के केस में गिरफ्तार किया था। जिसका चक्रधर नगर पुलिस ने चालान पेश किया था। उस वक्त चक्रधर नगर टीआई कौशल किशोर वासनिक थे। वहीं साल २०१२ में भी दो बोलेरो चोरी के मामले में भी रायगढ़ और जांजगीर की पुलिस ने आरोपी को पकडऩे में ओडिशा पुलिस की मदद की थी। जिसके बाद आरोपी ओडिशा जेल में बंद था।
किसी को नहीं देता था घर का पता
पुलिस ने बताया कि आरोपी हर बार गांजा तस्करी करने जाने के लिए नए-नए ड्राइवरों से संपर्क करता था और उन्हें गांव में ही अलग-अलग स्थान पर बुलाता था। आरोपी ने कभी भी किसी चालक को अपने घर का पता नहीं दिया ताकि पकड़े जाने पर चालक उसके घर का पता पुलिस को न बता दे। आरोपी मोटी रकम देकर वाहन चालकों को अपने काम में शामिल करता था।