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रायपुर

MIC-C की चपेट में 30 बच्चे राहत : नहीं हुई एक भी मौत, 26 पूरी तरह फिट

Multi system enpalometry syndrome in child : इसे भी जानें- बच्चों में ये बीमारी पाई जाती है साल भर लेकिन कोरोना के समय ज्यादा खतरा .- माता-पिता के संक्रमित होने पर बच्चों में भी बढ़ जाता है संक्रमण का खतरा .- कोरोना से ठीक हुए बच्चे भी हो सकते हैं इसका शिकार .

रायपुरJun 12, 2021 / 07:21 pm

CG Desk

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रायपुर . कोरोना संक्रमण के कम होते प्रकोप के बीच बड़े-बुजुर्गों में ब्लैक फंगस के बाद अब बच्चों में मल्टी सिस्टम इनपलामेट्री सिंड्रोम इन चाइल्ड (एमआईएस-सी Multi system enpalometry syndrome in child) का खतरा बढ़ गया है। राजधानी के शासकीय व निजी अस्पतालों में कोरोना काल के दौरान इस बीमारी से 30 से ज्यादा बच्चे पीड़ित हो चुके हैं। हालांकि, राहत की बात है कि अब तक एक भी मृत्यु नहीं हुई है।
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बता दें कि कोरोना की पहली लहर के बाद से ही एमआईएस-सी के केसेस सामने आने लगे थे। दूसरी लहर में इनकी संख्या बढ़ी है और आने वाले दिनों में और भी बढऩे से इनकार नहीं किया जा सकता है। एम्स रायपुर में पूरे कोरोनाकाल के दौरान करीब 26 केसेस आए हैं। वर्तमान में 3 बच्चों का इलाज चल रहा है। आंबेडकर अस्पताल में अभी तक एक भी केस नहीं पहुंचा है। एम्स में कोरोना की पहली लहर में 8-10 केस मिले थे, वहीं दूसरी में 16 से ज्यादा केस हो गए हैं। निजी अस्पतालों के बात करें तो 4-5 केस सामने आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर यह बीमारी वर्षभर गिनती के बच्चों में दिखाई देती थी, लेकिन कोविड की वजह से इस बीमारी का खतरा ज्यादा बढ़ गया है।
हृदय को ज्यादा नुकसान
इस बीमारी से बच्चों में तेज बुखार होने की वजह से कई अंग प्रभावित होते हैं लेकिन सबसे ज्यादा 30 फीसदी हार्ट (हृदय) को नुकसान पहुंचता है। हृदय की मंासपेशियां कमजोर होकर खराब होने लगती है। हृदय में पानी भर जाने जैसे लक्षण भी होने लगते हैं। कोरोना के बाद रिकवर हुए 7 से 14 साल के बच्चों में बीमारी होती है। कोरोना ग्रस्त माता-पिता के बच्चों में इस बीमारी के ज्यादा होने की संभावना होती है।
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बीमारी का ऐसे चलता है पता
बीमारी के लक्षण कोरोना संक्रमण के ठीक होने के 1 से 6 सप्ताह में दिखाई देने लगते हैं। खून की जांच, सीआरपी, प्लेटलेट्स का कम होना, ईको टेस्ट आदि जांच कराई जाती है। अधिकतर बच्चों को कोराना संक्रमण हुआ तो है लेकिन लक्षण नहीं होने या सामान्य दिखने के कारण संक्रमण का पता नहीं चल पाता। परिवार के सदस्यों की हिस्ट्री लेने और एंटीबॉडी टेस्ट कराने के बाद स्थिति स्पष्ट होती है कि बच्चा कोरोना से संक्रमित हो चुका है।

यह हैं लक्ष्ण

1. बच्चों में तीन दिन से ज्यादा तेज बुखार व तेज दर्द।
2. उल्टी-दस्त, गर्दन में दर्द, आंख व जीभ का लाल होना।

3. दिमाग व हाथ-पैर में सूजन, शरीर पर लाल चकत्ते उभरना।
4. सुस्ती, सांस लेने में परेशानी, भ्रम व चिड़चिड़ापन।
5. बच्चे को बेहोशी आना, झटके आना, पल्स का तेज आना।

पहली लहर में भी एमआईएस-सी के केस आए थे। हर माह एक-दो केस आते रहते हैं। यदि शुरुआत में ही डायग्नोस कर लें तो 3 से 5 दिन में बच्चा स्वस्थ हो जाता है। अधिकांश बच्चों की कंडीशन पर निर्भर करता है कि बीमारी कितनी बढ़ी है।
– डॉ. अतुल जिंदल, शिशु रोग विशेषज्ञ, एम्स, रायपुर
कोविड से रिकवर बच्चों में यह बीमारी होती है। अभी तक एक-दो केस सामने आए है, आने वाले दिनों में इसके बढऩे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। कोरोना के ए-सिम्टोमैटिक, माइल्ड और सिवियर से उबर चुके किसी भी बच्चे में हो सकता है।
– डॉ. आनंद भट्टर, शिशु रोग विशेषज्ञ, निजी अस्पताल, रायपुर

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