रायपुर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस (MBBS Admission) की 150 सीट हैं। एमसीआई के नियमानुसार इससे ज्यादा पर दाखिले नहीं दिए जा सकते। कम दाखिले हो सकते हैं। मगर, 2018 बैच के इन छात्रों ने हाईकोर्ट में कहा, 2018 बैच में 150 छात्रों का दाखिले हुए। फस्र्ट ईयर में कुछ छात्र फेल हो गए। उन सीट पर हमें दाखिले दिए जाएं। जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। जब तक बैच पास-आउट नहीं हो जाता, बीच के किसी भी वर्ष में सीधे दाखिले देने या फिर ट्रांसफर का नियम नहीं है।
पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (Pt Jawaharlal Nehru Medical College) प्रदेश का सबसे बड़ा, सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज है। यहां पढ़ाई का स्तर सबसे अच्छा माना जाता है। टॉप रैंक वाले अभ्यर्थियों की प्राथमिकता इसी कॉलेज की रहती है। अगर छात्र ट्रांसफर लेकर आते हैं तो उन्हें टॉप 150 रैंक वाले छात्रों के साथ बैठकर पढऩे का अवसर मिल रहा है।
जानकारों के अनुसार, ट्रांसफर लेने 4 छात्रों ने रायपुर मेडिकल कॉलेज में 2018 बैच के छात्रों के फेल होने के चलते सीट खाली होने की बात कही, दरअसल ऐसा नहीं है। छात्र फेल भी होते हैं तो उसी बैच के छात्र कहलायेंगे जिसमें उनका दाखिला हुआ। ये 6-6 महीने में होने वाली परीक्षा में शामिल होते हैं।
हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष एवं इंडियन मेडिकल काउंसिल (आईएमए) के सदस्य डॉ. राकेश गुप्ता कहना है कि ये ट्रांसफर उन छात्रों के अधिकारों का हनन है, जो मेहनत से मैरिट में आए। नियमानुसार, ट्रांसफर नहीं हो सकते।
– डॉ. आरके सिंह, संचालक, चिकित्सा शिक्षा