गोद लेने की प्रक्रिया को सरल करने के लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से हाल ही में चर्चा हुई है। इस पर शीघ्र ही सरलीकरण के लिए ठोस पहल की जा रही है।
प्रतीक खरे, सचिव, बाल अधिकार संरक्षण आयोग
छत्तीसगढ़ में एक दर्जन सिंगल पैरेंट्स ने अनाथ बेटा या बेटी गोद लेने के लिए आवेदन कर रखा है। अभी तक दो सिंगल मदर और एक सिंगल फादर ने एक-एक बच्चे को विधिवत गोद लिया है। विष्णु रूप (परिवर्तित नाम) ने बताया, मैं बेटी गोद लेना चाहता था, लेकिन कानून में प्रावधान नहीं होने के कारण मैंने एक बेटा गोद लिया। मुझे अहसास ही नहीं होता कि वह पराया है। मैं उसके खाने-पीने से लेकर पढ़ाई और खेलने तक का ध्यान रखता हूं। अब वह मेरे लिए जीवन जीने की वजह बन गया है।
वहीं बेटी को गोद लेने वाली मधु (परिवर्तित नाम) कहती हैं कि अब मेरी बेटी ही मेरी दुनिया है।
उन्होंने बताया, बेटी को गोद लेने से पहले लोग कई तरह की बात कर रहे थे। मैंने तय कर रखा था कि किसी को यह नहीं कहने दूंगी कि ये गोद ली हुई बच्ची है। अब सभी उसे स्वीकार कर चुके हैं। मैं उसे भी सच्चाई बताऊंगी, लेकिन सही समय आने पर।
हर कोई बेटी को ही गोद लेना चाहता है। छत्तीसगढ़ से 7 साल ( 2015-16 से 2021-22 तक) में 626 बच्चों को गोद लिया गया है। इनमें 346 बेटियां हैं तो 280 बेटे। विदेशी दंपती भी भारत की बेटी को ही अपनाना चाह रहे हैं। इन 7 साल में 50 बेटियों को विदेशी पैरेंट्स ने अपनाया है। ऐसे बेटों की संख्या 32 रही। ये बेटियां अब अमेरिका, इटली व कनाडा में चहकेंगी।
कोई भी कपल शादी के दो साल बाद ही बच्चा लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
परिवार की फोटो से लेकर पैन नंबर, आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, बिजली या टेलीफोन बिल, फिटनेस का सरकारी सर्टीफिकेट जरूरी है। दो परिचितों के बयान भी। अगर पहले से कोई बच्चा है और उसकी उम्र पांच साल से अधिक है तो उसकी सहमति भी जरूरी है। पति-पत्नी दोनों की सहमति जरूरी है। सिंगल मदर बेटा-बेटी किसी को भी गोद ले सकती है। सिंगल फादर सिर्फ लडक़ा ही एडॉप्ट कर सकता है।