script7 साल में सिर्फ 626 बच्चों को मिले पैरेंट्स, 40 हजार से ज्यादा इंतजार में | adoption hurdles : only 626 children got parents, 40K are waiting | Patrika News
रायपुर

7 साल में सिर्फ 626 बच्चों को मिले पैरेंट्स, 40 हजार से ज्यादा इंतजार में

इसे न्यू इंडिया ही कहिए। सोच इतनी पॉजिटिव है कि अब सिंगल मदर और सिंगल फादर भी अनाथ बच्चे को गोद लेने आगे आ रहे हैं। 3 ऐसे सिंगल पैरेंट्स आगे आए हैं। वहीं 22 दिव्यांग बच्चों को भी लाड़-प्यार करने वाले माता-पिता मिले हैं। और अब उन्हें अच्छी परवरिश देने में जुटे हैं। ऐसे 40 हजार से ज्यादा अनाथ बच्चे ऐसे नॉर्मल जीवन की आस लगाए हैं। उन्हें गोद लेने के लिए सिंगल और कपल दोनों तरह के पैरेंट्स आवेदन लगाए बैठे हैं, लेकिन बच्चे गोद लेने का कानून बेहद कड़ा है। इसके चलते हजारों आवेदन पेंडिंग हैं।

रायपुरAug 19, 2022 / 12:48 am

शिव शर्मा

child adpotion

7 साल में सिर्फ 626 बच्चों को मिले पैरेंट्स, 40 हजार से ज्यादा इंतजार में

प्रदेश में अनाथ और छोड़ दिए गए बच्चों की संख्या 40 हजार से ज्यादा है। प्रदेश में इतनी तादाद में अनाथ बच्चे होने के बावजूद गोद लेने का औसत कम है। अडॉप्शन की प्रक्रिया बेहद लंबी होना भी इसका एक कारण है। केंद्र सरकार ने सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) गठित की है। ये संस्था महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है। इच्छुक पैरेंट्स को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके बाद जिले की दत्तक ग्रहण इकाई होम विजिट के बाद स्टडी रिपोर्ट तैयार करती है। अधिकांश लोग नवजात और स्वस्थ बच्चे को ही गोद लेना चाहते हैं। बच्चा जितना बड़ा होगा, उसे अडॉप्ट करने का चांस उतना ही कम हो जाता है। इन
सबके चलते हजारों आवेदन पेंडिंग हैं।
गोद लेने की प्रक्रिया को सरल करना चाहिए। साल भर से ज्यादा समय तक आवेदन लंबित रहते हैं। इससे औलाद की चाहत रखने वाले माता-पिता परेशान होते रहते हैं। सिंगल पैरेंट्स के मामले में यह और कष्टदायी होता है।
सुनील सेन, अधिवक्ता
प्रक्रिया सरल होने की उम्मीद
गोद लेने की प्रक्रिया को सरल करने के लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से हाल ही में चर्चा हुई है। इस पर शीघ्र ही सरलीकरण के लिए ठोस पहल की जा रही है।
प्रतीक खरे, सचिव, बाल अधिकार संरक्षण आयोग
3 सिंगल पैरेंट्स ने गोद लिया एक-एक बच्चा
छत्तीसगढ़ में एक दर्जन सिंगल पैरेंट्स ने अनाथ बेटा या बेटी गोद लेने के लिए आवेदन कर रखा है। अभी तक दो सिंगल मदर और एक सिंगल फादर ने एक-एक बच्चे को विधिवत गोद लिया है। विष्णु रूप (परिवर्तित नाम) ने बताया, मैं बेटी गोद लेना चाहता था, लेकिन कानून में प्रावधान नहीं होने के कारण मैंने एक बेटा गोद लिया। मुझे अहसास ही नहीं होता कि वह पराया है। मैं उसके खाने-पीने से लेकर पढ़ाई और खेलने तक का ध्यान रखता हूं। अब वह मेरे लिए जीवन जीने की वजह बन गया है।
वहीं बेटी को गोद लेने वाली मधु (परिवर्तित नाम) कहती हैं कि अब मेरी बेटी ही मेरी दुनिया है।
उन्होंने बताया, बेटी को गोद लेने से पहले लोग कई तरह की बात कर रहे थे। मैंने तय कर रखा था कि किसी को यह नहीं कहने दूंगी कि ये गोद ली हुई बच्ची है। अब सभी उसे स्वीकार कर चुके हैं। मैं उसे भी सच्चाई बताऊंगी, लेकिन सही समय आने पर।
गोद लेने के लिए बेटी पहली पसंद
हर कोई बेटी को ही गोद लेना चाहता है। छत्तीसगढ़ से 7 साल ( 2015-16 से 2021-22 तक) में 626 बच्चों को गोद लिया गया है। इनमें 346 बेटियां हैं तो 280 बेटे। विदेशी दंपती भी भारत की बेटी को ही अपनाना चाह रहे हैं। इन 7 साल में 50 बेटियों को विदेशी पैरेंट्स ने अपनाया है। ऐसे बेटों की संख्या 32 रही। ये बेटियां अब अमेरिका, इटली व कनाडा में चहकेंगी।
पहले से कोई बच्चा है तो उसकी सहमति भी जरूरी
कोई भी कपल शादी के दो साल बाद ही बच्चा लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
परिवार की फोटो से लेकर पैन नंबर, आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, बिजली या टेलीफोन बिल, फिटनेस का सरकारी सर्टीफिकेट जरूरी है। दो परिचितों के बयान भी। अगर पहले से कोई बच्चा है और उसकी उम्र पांच साल से अधिक है तो उसकी सहमति भी जरूरी है। पति-पत्नी दोनों की सहमति जरूरी है। सिंगल मदर बेटा-बेटी किसी को भी गोद ले सकती है। सिंगल फादर सिर्फ लडक़ा ही एडॉप्ट कर सकता है।
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