22 एल्डरमैनों को बदला गया
नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से जारी आदेश में नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में 22 मनोनीत एल्डरमैनों को बदल दिया गया है। इन पार्षदों की नियुक्ति निकाय चुनाव से पहले हुआ था। इनकी नियुक्ति को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर विवाद की स्थिति बनी थी। कई निकायों में ऐसे लोगों को एल्डरमैन बना दिया गया था, जो संगठन से नहीं हैं। जनता कांग्रेस के कुछ लोगों के पार्षद मनोनीत होने पर स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने भारी नाराजगी जताई थी।
एल्डरमैन क्या है
नगर निगम, नगर पालिकाओं में दो तरह के पार्षद होते हैं। सामान्य तौर पर पार्षद मतदाताओं द्वारा सामान्य मतदान प्रणाली से चुने जाते हैं। सरकार भी एक निश्चित अनुपात में किसी व्यक्ति को पार्षद मनोनीत कर सकती है। इन्हें एल्डरमैन कहा जाता है।
एल्डरमैन की भूमिका
एल्डरमैन, निकाय की सामान्य सभा में भाग ले सकता है। उसे मतदान का अधिकार नहीं होता। उनके लिए भी पार्षद निधि की व्यवस्था है। वे उसे शहर में कहीं भी विकास कार्यों पर खर्च कर सकते हैं। इनको भी 6 हजार 600 रुपए मानदेय मिलता है।
बड़े नेताओं की पसंद को तवज्जो
रायपुर में क्षेत्रीय विधायकों की पसंद के दो-दो व्यक्तियों को एल्डरमैन बनाया गया है। पूर्व पार्षद अफरोज आलम को महापौर एजाज ढेबर की पसंद बताया जा रहा है। संगठन के नेताओं का आरोप है, इसमें जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई है। सिविल लाइंस के पूर्व पार्षद इंद्रजीत सिंह गहलोत ने पिछले चुनाव में किश्मत आजमाई थी। चुनाव हार गए। अब सरकार ने उनको एल्डरमैन बना दिया है।