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रायपुर

रामलला को आकार देने वाले अरुण 6 महीने सो नहीं पाए थे

रायपुर में बोले- बड़ी जिम्मेदारी थी इसलिए रातों की नींद उड़ गई थी

रायपुरMar 11, 2024 / 12:17 am

Tabir Hussain

रामलला को आकार देने वाले अरुण 6 महीने सो नहीं पाए थे

हाथ जोड़ लोगों का अभिवादन स्वीकार करते अरुण योगीराज

जब मूर्ति बनाने का काम मुझे मिला तब खुशी तो बहुत थी लेकिन यह भी डर था कि वह सभी को पसंद आएगी कि नहीं। क्या मैं देशवासियों की अपेक्षा पर खरा उतर पाऊंगा? सिर्फ ट्रस्टी की अपेक्षा पर खरा उतरना काफी नहीं था। कई राज्यों की कलाकृतियों का बारीकी से अध्ययन किया। यह कला के रूप में देश को कुछ देने का मौका था। 300 सालों से हमारा परिवार मूर्ति बनाने का काम कर रहा है। अनुभव और मार्गदशन के कारण सुंदर और शास्त्रों के अनुसार प्रतिमा गढ़ पाए। मैं छह महीने से ठीक से सो नहीं पाया। सोने से पहले चिंता रहती थी कि कल क्या करना है। उत्सुकता भी रहती थी। यह कहा रामलला विग्रह के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने। रविवार को उनका रायपुर में नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम था। इस दौरान पत्रिका से मूर्ति निर्माण के अनुभवों को साझा किया।

विडंबना उस वक्त खड़ी हुई जब…

शिला पर काम करते हैं तो आकार देने का एक ही अवसर होता है। दोबारा मौका नहीं मिलता। इसी एक मौके के लिए बहुत ज्यादा अभ्यास करना पड़ा। दस तरह से चेहरे तो बना सकते हैं, लेकिन जो लोगों को पसंद आए उस तरह का चेहरा बनाना अपने आप में चुनौती है। विडंबना उस वक्त खड़ी हुई जब मैंने तीन महीने तक काम कर लिया था, पता चला कि पत्थर की रिपोर्ट निगेटिव आई। मुझे नए सिरे से काम शुरू करना पड़ा।

कभी सोचा नहीं था इतना प्रेम मिलेगा

भगवान राम के साथ देशवासियों का प्रेम मुझे भी मिल रहा है। वैसे तो कई तीज-त्योहार होते हैं जिसे क्षेत्र विशेष में मनाया जाता है। लेकिन इसे पूरे देश में एक उत्साह के रूप में हर उम्र वर्ग के लोगों ने मनाया। ऐसा लग रहा है कि राम राज्य आ चुका है। मैंने कभी नहीं सोचा था कलाकार के रूप में पूरे देश से मुझे इतना प्रेम मिलेगा।

मिल चुका हूं मोदीजी से

प्रतिमा बनाने के पहलेे और बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात नहीं हो पाई। इससे पहले जब मैंने इंडिया गेट में स्थापित सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा बनाई थी तब उनसे मिलना हुआ था। लगभग 12 मिनट का इंट्रक्शन था।

रोज मिल रहा काम, सबको मना कर रहा

रामलला की मूर्ति बनाने के बाद मुझे रोज कहीं न कहीं की मूर्ति बनाने का काम मिल रहा है। मैं उन्हें मना कर रहा हूं क्योंकि जबसे अयोध्या का काम मिला, पुराने काम रोकने पड़े थे। अब पहले वाले काम पूरे हो जाएं तब कोई नया काम लूंगा।

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