काम मांगने 43 बार गए प्रोडक्शन हाउस
सिद्धार्थ ने बताया, आपमें लाख टैलेंट हो लेकिन डायरेक्टर आपको हर बार यही कहेगा कि अगले महीने आओ। इसलिए मेरा मानना है कि पूरी तैयारी और विश्वास के साथ मुंबई जाना चाहिए। मैं एक बार नहीं बल्कि 43 बार कोई मेरे दिल से पूछे के प्रोडक्शन हाउस गया। आखिरकर मुझे एक दिन मौका मिल गया जब मैंने खुद को प्रजेंट किया। उन्होंने पूछा कि किस तरह की मूवी देखते हो। मैंने कहा- शोले, डॉन और दीवार तो देखी है लेकिन सत्यजीतरे कई फिल्में 40 बार देखी। वे हैरत में पड़ गए। रे की एक फिल्म के तीन सीन पूछे। मैंने पूरा बता दिया। वे कहने लगे कि हम एक सीन बता रहे हैं उसे दो दिन बाद लिखकर लाना, लेकिन मैंने कहा कि अभी लिखूंगा। मैंने लिखकर दिया और वे प्रभावित हुए। उस फिल्म का एक डायलाग था- शिकार को डराया नहीं तो शिकार का मजा किया… वे कहने लगे कि डेढ़ साल क पैसे नहीं देंगे। मैेंने पहली फुर्सत में हां कहते हुए गॉड को थैंक्स कहा। शाहरूख और सैफ के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड लिखने का काम मिला। उसे मैंने एेसा लिखा कि राइटिंग की दुनिया में पहले एेसा कभी नहीं हुआ था। बस यहीं से मेरे सपनों को पंख लगने लगे। पैरिस में मित्तल फैमिली की 320 करोड़ की शादी थी। वहां शाहरुख खान के लिए स्क्रिप्ट लिखी और तबसे मैं उनके साथ हूं।बिगबॉस को किया एंजॉय
अपने राइटिंग कॅरियर में मैंने कभी ब्रेक नहीं लिया था। बिगबॉस में 7 दिन के लिए गया था लेकिन 31 दिन रहा। ये मेरे लिए काफी रोमांचक रहा। बिगबॉस-13 से मुझे आम लोग भी जानने लग गए। बॉलीवुड में तो सभी मेरे काम को जानते थे लेकिन इस रियलिटी शो के जरिए एक अलग पहचान मिली।खु़द पर विश्वास होना चािहए
मैं मुंबई ग्लैमर के लिए नहीं गया था। चूंकि मुझे पता था कि यही मुझे करना है। जब आप अपने काम को जॉब के हिसाब से करने लगते हैं तो स्टारडम हावी नहीं होता। खुद पर यकीन होगा तभी आप बेहतर कर पाएंगे। विश्वास जगाने के लिए उसी काम में रमे रहना होगा जो आप कर रहे हैं। मैं रायपुर में हूं लेकिन अभी भी पापा के साथ रात में सत्यकाम मूवी देखी। साहब, बीबी और गुलाम को 28 बार देख चुका हूं। प्यासा 40 बार देखी। शहंशाह ओर चांदनी की तो गिनती ही नहीं। कहने का मतलब खुद में विश्वास तभी आएगा जब आप परफेक्ट हों अपने काम में।