वहीं मंत्री डॉ. डहरिया ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि वर्ष 2003-2004 में सरकार बदलने के बाद नाम बदलने की परंपरा की शुरुआत आप लोगों ने ही की थी। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने विपक्ष से चर्चा में हिस्सा लेने का आग्रह किया, लेकिन विपक्ष ने उसे ठुकरा दिया।
अनुदान मांगों की चर्चा की शुरुआत में भाजपा विधायक शिवरनत शर्मा, बृजमोहन अग्रवाल, नारायण चंदेल और अजय चंद्राकर ने योजनाओं का नाम बदले जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा, आप ने दो माह में सब काम छोड़कर सिर्फ नाम बदलकर महापुरुषों का अपमान किया।
विपक्ष का कहना था कि हम सदन की परंपरा प्रभावित नहीं करेंगे। हाउस में बैठक कर पूरी बात सुनेंगे, लेकिन चर्चा में हिस्सा न लेकर गांधीवादी तरीके से अपना विरोध दर्ज कराएंगे। इस पर संसदीय सचिव चौबे ने कहा, आज आपको आपत्ति हो रही है, लेकिन परंपरा की शुरुआत आप लोगों ने ही किया था। आप चर्चा में हिस्सा ले और अपना सुझाव दें।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, छत्तीसगढ़ सदन की उच्च परंपरा रही है। सहमति-असहमति के कई दौर आए है। यह परंपरा सही नहीं है। मुख्यमंत्री ने मुख्य विपक्षी दल से अपील करते हुए कहा, आप सदन में रहेंगे भी और भाग भी नहीं, तो यह उचित फैसला नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष ने भी इसे उचित परंपरा नहीं बताया।
विधानसभा में मंत्री डॉ. डहरिया ने कहा कि छत्तीसगढ़ औद्योगिक नियोजन नियम के तहत स्थापित संस्थानों में श्रमिकों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष की जाएगी।