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CG News : चौंकिए मत लेकिन ये सच है कि इस सरकारी स्कूल के बच्चे आंख पर पट्टी बांध कर रंग पहचान लेते हैं और किताब भी पढ़ लेते हैं

Mid Brain Activation : बिना देखे ही रंगों को पहचानना और शब्दों को छू कर उसे बता देना कि क्या लिखा है। हालांकि यह असंभव सा है लेकिन यह ब्रैन एक्टिवेशन (Mid Brain Activation ) के जरिए इसे संभव किया जा सकता है। इसे हकीकत में सरकारी स्कूल कि एक शिक्षिका विधि तिवारी ने कर दिखाया।

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CG News : चौंकिए  मत लेकिन ये सच है कि इस सरकारी स्कूल के बच्चे आंख पर पट्टी बांध कर रंग पहचान लेते हैं और किताब भी पढ़ लेते हैं

आँखों पर पट्टी बांधकर पत्तियाँ पहचानती छात्राएं

कवर्धा जिले के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय अगरीकला में कक्षा छठवीं और सातवीं के कुछ बच्चों को शिक्षिका विधि तिवारी द्वारा मिड ब्रैन एक्टिवेशन (Mid Brain Activation ) की ट्रेनिंग दी जा रही है। यह शुरुआत दौर है लेकिन बच्चों में यह काफी विकास दिखाई दिया। बच्चों को शुरुआत में भी 2 घंटे ट्रेनिंग दी और रोज 15 मिनट का ध्यान करने को सिखाया और इस प्रकार अभी तक उन्होंने 3 ट्रेनिंग अपने शाला में दी है। इसमें 10-15 बच्चों को आंखों पर पट्टी बांधा और बच्चे रंग पहचानने लगे हैं। इसके अलावा कुछ बच्चे तो आंखों में पट्टी बंधे हुए ही शब्दों को छू कर पढ़ लेते हैं। यह आश्चर्यजनक है लेकिन इसकी ट्रेनिंग देते और बच्चों द्वारा किए गए कार्य की विडियो जारी कर शिक्षिका तिवारी ने सबको हैरान कर दिया है।

इस प्रशिक्षण के फायदे

मिड ब्रैन एक्टिवेशन (Mid Brain Activation ) के फ ायदे को बताया कि जो बच्चों को देर से याद होता था, इस ट्रेनिंग से उनकी याद करने की क्षमता बढ़ गई है और समझने की क्षमता में भी विकास हुआ है। शिक्षिका विधि का प्रयास है कि ये एक नवाचार के रूप में सभी विद्यालयों में लागू हो और सभी सरकारी बच्चों को भी इसका लाभ मिल सके। सभी बच्चों का बौद्धिक विकास हो सके। साथ ही लोग मिड ब्रैन एक्टिवेशन के बारे में जाने, इसके फायदे को भी समझे।

सरलता से सिखाया

patrika.com को शिक्षिका तिवारी ने बताया कि इस ट्रेनिंग को सरल करते हुए 2 घंटे ट्रेनिंग दी। रोजाना 15 मिनट का ध्यान करने को सिखाया। इस तरह से उन्होंने अभी तक 3 ट्रेनिंग अपने शाला में दी है। इसका सकारात्मक नतीजा सामने आया। चूंकि यह ट्रेनिंग 15 वर्ष तक के बच्चों को दी जा सकती है क्योंकि 5 से 15 वर्ष तक के बच्चों में मस्तिष्क का पीनियल ग्लैण्ड जिसे तीसरी आंख भी कहा जाता है वह बड़ा होता है। इसके बाद वह सुकड़ जाता है। इसलिए 15 वर्ष तक के बच्चों का मानसिक विकास तेजी से किया जा सकता है।