जुड़वा बेटी
जु ड़वां बेटी चोवाराम वरमा ‘बादल के एक किताब आय जेमा 12 कहिनी, 2 बियंग अउ 4 ठन आलेख हे। ए किताब म कहिनी के परमुखता हे। ऐकर सेती ऐला ‘कहिनी संग्रहÓ कहिना जादा अच्छा होही। जुड़वा बेटी एक रोचक अउ पढ़े के लइक कहिनी संग्रह हे। ऐमा समाज के छुए-अनछुए पहलू ल बहुते गहनता अउ मार्मिकता के संग लिखे गे हे। संवाद सैली अइसन हे के कहिनी ल एक बार पढ़े बर सुरू करे जाए त पूरा पढ़े बिना नइ रहे जाय। समाज के विभिन्न पहलू ऊपर लिख गे कहिनीमन दिल ल छू जाथे अउ ए सोचे बर मजबूर कर देथे के अतका समरिद्ध कहे जाने वाले समाज म कुछ चीज आजो ज्यों के त्यों हें।
जुड़वाँ बेटी के सुरुआत ‘इंसानियत के लासÓ नामक कहिनी ले होय हे। जेमा ड्राइवर के इंसानियत अउ भीड़ तंत्र के अमानवीयता ल देखत भीड़ द्वारा ड्राइवर ल पीट-पीट के मार डरथें। जेला कहानीकार ‘इंसानियत के लासÓ कहिके आजकल के चर्चित सब्द ‘मॉब लिचिंगÓ के घटना ल जीवंत करके समाज ल झकझोरे के सफल प्रयास करे हें। ‘अति के अंतÓ कहिनी म जमींदार परिवार के दू पीढ़ी के अंतर ल देखात अत्याचारी के अंत एक साधारण मनखे के द्वारा करके ये सिद्ध करे के कोसिस करे गे हे के अति के अंत होबे करथे। कहिनी के कथा सैली अउ भासासैली दूनों छत्तीगढिय़ापन ले छलकत हे।
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