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रायपुर

कीटनासक के परभाव

बिचार

रायपुरMar 31, 2020 / 03:52 pm

Gulal Verma

कीटनासक के परभाव

कीटनासक के परभाव

कीटनासक ल भले हमन बउरत हन, फेर ऐहा हमरे जीव के जंजाल बन गे हावय। बारी-बखरी, खेत-खार म जउन भी फसल बोथन वोकर उपज बढ़ाय बर अउ रोग-राई से बचाय बर कीटनासक दवई ल मनमाड़े डारथन। दार-दलहन, धान, गहूं ल घुन कीरा ले बचाय बर भंडार घर (कोठी) म कीटनासक के छिड़काव ल करथंन। कीरा तो मर जथे अउ कीरा ह चिपक के रहि जथे। कतकोन धो ले, कतको निमार, फून ले वोहा नइ निकलय।
ये जहरीला दवई ह जाने-अनजाने म हवा, पानी अउ माटी म समा गे हे। जउन भी भोजन-पानी ल खाथन-पीथन, बउरथन वोहा हमर सरीर म समावत हे। उत्पादन के मात्रा भले बढ़ जथे, फेर भाजी-पाला, फल-तरकारी के पोसक तत्व म कमी आ गे हे। जेला खाय से पोसक तत्व के कमी के सेती पाचन तंत्र ह कमजोर पर जथे। अउ ऐकर से कतकोन किसम के नवा-नवा बीमारी ह फइलत हवय।
हमर सुवास्थ्य खराब तो होते हवय, संगे-संग दूसर जीव-जंतु ह ऐकर परभाव से मरत हे। जन सुवास्थ्य के संग जैव विविधता ह हाल-बेहाल होगे हावय। कीटनासक ल आंख मुंद (अंधाधुन) के बउरे से परियावरन संतुलन ह बिगड़त हे। कीरा मारे के दवई के छिड़काव से कीरामन के प्रतिरोधक छमता ह घलो बढ़ गे हावय। अउ दवा के असर नइ होवत हे कहिके छिड़के उपर छिड़के जावत हन। जेकर असर ह हवा, पानी, तरिया, डबरी, नदिया-नरवा के पानी म मिलत हे।जइसे कोनो मनखे ल एक पइत नसा के चस्का लग जथे, रोज-रोज पीये से वोकर मात्रा ह बढ़ जथे, तभो ले नसा नइ धरय, वइसने कीरामन होगे हवंय। कतकोन कीरा ह जेन ल परियावरन मित्र कहिथन, तिहू ह ऐकर परभाव से नस्ट होगे हवय। धरती के सबो जीव-जंतु ल सुद्ध भोजन, हवा, पानी मिलय, ऐकर बर उदीम करे बर चाही।
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