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रायपुर

असनांद अउ दान करे से मिलथे मुक्ति

परब बिसेस

रायपुरMar 01, 2021 / 05:03 pm

Gulal Verma

असनांद अउ दान करे से मिलथे मुक्ति

असनांद अउ दान करे से मिलथे मुक्ति

पुरखा ले चलागत चले आवत हे माघ महीना अउ माघी पुन्नी महत्तम के। माघ महीना भर हा बड़ पुन तिथि हे फेर माघ पुन्नी के महत्तम बडक़े हावय। माघी पुन्नी ल हिन्दूमन ह बड़ सरद्धा अउ बिसवास ले मानथें। धरम-करम के हिसाब ले घलो माघ महीना अउ माघी पुन्नी के जबर महत्तम हावय। मघा नक्छत्र ले भरे होय के सेती ये महीना के नाव माघ पड़े हे। माघ महीना के जुड़हा जल म डुबकी लगइयामन अपन पाप ले मुक्त होके सरग लोक जाथे अइसन मानियता हे। धरम सास्त्र के हिसाब ले माघी पुन्नी म भगवान बिसनुजी ह गंगाजल म निवास करथें। ऐकरे सेती अइसन पबरित समे म गंगाजल ल छुएभर ले सरग पाय के मानता हावय। काबर के इही तिथि म भगवान नरायन ह छीरसागर म बिराजथें अउ गंगाजी ह छीरसागर के एकठन रूप हरय।
माघी पुन्नी के दिन नदिया के तीर म जगा-जगा मेला भराथे। ये दिन ह उत्सव बरोबर होथे। मानियता हे के ये दिन बड़ पबरित होथे अउ इही दिन महाकुंभ म असनाँदे ले मोक्छ मिले के मानता हावय। माघी पुन्नी के दिन चंदा ह अमरित के बरसा करथे। जेकर अंस ह रूखराई, नदिया-तरियामन म परथे जउन ह रोगराई ल दूरिहा भगाय बर पुस्टई गुन ले भरे रहिथे।
माघी पुन्नी के दिन असनांद करे ले सूरुज अउ चंदामन के कोनो दोसमन ले मुक्ति मिलथे। मकर रासि म सूरुज के जाय अउ कर्क रासि म चंदा के जाय ले माघी पुन्नी म पुन के योग बनथे। इही दिन सूरुज उवे के पहिली नदिया म भगवान के तेज ह समाय रहिथे जउन ह पाप के नास करइया होथे। माघ महीना म मनखे ल कम से कम एक घंव जरूर कोनो पबरित नदिया म असनांद करे बर चाही। माघी पुन्नी के दिन असनांद अउ दान ह मनखे ल पाप ले छुटकारा देवा के सरग के भागी बनाथे। माघी पुन्नी के असनांद अउ दान के जिनगी म बड़ महत्तम होथे। इही दिन ले हमर छत्तीसगढ़ राज के राजिम, सिरपुर, सिवररीनरायन अउ जगा-जगा जबर मेला भराय के सुग्घर सुरुआत हो जाथे। माघी पुन्नी परब ह पुन अउ उछाह के पबरित परब घलो आय।
माघ महीना म बड़े बिहनिया ले असनांदे के बिग्यानिक महत्तम घलो हे। माघ म जाड़ सिराय ल धर लेथे अउ ऐकरे संगे-संग बसंत रितु के सुरुआत होय ल धर लेथे। रितु बदलाव के स्वास्थ ऊपर उलटा असर झन परय कहिके रोज बड़े बिहनिया ले असनांद करे बर चाही। अइसन करे ले देह पोठ अउ निरोग होथे। माघ महीना के सबो दिन ह सुभ होथे, फेर माघी पुन्नी के बड़ भारी महत्तम होथे।

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