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रायपुर

चुनाव लड़े के तइयारी

गोठ के तीर

रायपुरOct 04, 2018 / 06:35 pm

Gulal Verma

cg news

चुनाव लड़े के तइयारी

नानकुन रहेंव त लइकामन के अध्यक्छ रहेंव। चुनाव कारयालय म जाके झंडा, पोस्टर, पाम्पलेट, बिल्ला ल बोरा म भर के घर कोनो कोन्टा म रखके रोज बिहनिया जुलूस निकाल के परचार करे बर निकल जात रहेन। उहां ले आके जल्दी-जल्दी नहा-धो के रोटी-बासी खाके इस्कूल टाइम म पहुंच जात रहेन। गुरुजीमन तक हमर टोली ल देखके कहंय, एक दिन तुमन देस के नेता बनिहव।
आज चौसठ बछर के होगे हंव। जबड़ बने-बने नेता, अभिनेता, बिन पढ़े-लिखे चमचा, जुआरी, सराबी, घुम्मकड़, कौड़ी न काम के रहंय तेन मनखेमन ल देखत-देखत आंखी ह चौंधिया जाथे। जेन ल सूजी लगाय नइ आवय तेन ह डाक्टर ल घुड़कावत हे। जेन बीस तक पहाड़ा नइ आवय, तेन इस्कूल म जाके गुरुजीमन ल सिखोवत हे। जेन ह इंटा, गिट्टी, पथरा सिरमिट का होथे नइ जानय, तेन ह निरमान बिभाग के जांच-पड़ताल करथे, सजा देथे। ए जम्मो बुता ल देखके महू ह गुनेव येदारी चुनाव म लड़े के तियारी करिहंव।
तियारी ले पहली संगी-जहुरिया, मितान-सियान, रिस्ता-नाा, परिवार-समाजमन सो जाके सलाह ले बर अपन गोठ ल गोठियाएंव। जम्मोझन बघवा बरोबर मोर उपर हव्वांगे। का कहे? फेर, एक आखर अउ गोथियांव अउ अपन पीरा ल बताएंव। जवाब मिलिस- तेहा राजनीति के क-ख-ग ल नइ जानथस। राजनीति के गनित ल बड़े-बड़े म घलो नइ जानंय, अउ तेहा चुनई लड़हूं कहिथस। सुक्खा डबरा म गिरके मर जबे। अपन लोग-लइका के सेवा कर, नइते ऐमन के मरे बिहान हो जही। अभी समाज म तोर इज्जत बने हे। जम्मो तोला ऊंचहा कुरसी देथंन। चुनई म हारबे तहां तो कुकुर गति हो जही। कुकुर घलो ह तोला नइ सुंघय।
मेहा कहेंव- सियानमन मोला बतावव, ए राजनेतामन ल अतका सुविधा, देस-बिदेस के भरमन, हवई जिहाज म घूमई, इंकर सो लाखों-करोड़ों के खजाना, इन्दरासन के सुख भोगत हें, तेन ह तुमन ल नइ दिखय। अउ, मेहा बने मनखे ह चुनई लड़े बर तियार होत हंव त तुमन ल सांप सुघत हे।महुं ह चुनई लड़के सुग्घर बुता करे बर सोचत हंव, त तुमन मोर बर खख्वावत हव। मोर पीरा ल नइ समझव, ऐकर सेती आय।
एकझन सियान कहिस- भुइंया के चिखला वाले दल-दली म फंस जाबे त कोनो तिर-तखार के चिन्हारमन खिंच-खिंच के तोला सुक्खा भुइंया म खड़े कर देहीं रे बाबू! फेर, राजनीति के दलदल अइसे दलदल ए के ऐमा जउन एक बखत फंसगे, वोला खुद भगवान घलो नइ बचाय सकय।
कोनो नइ समझिन मोर अंतस के पीरा ल। चुपचाप होके भीतरे-भीतर छटपटावत हंव। कब मोर असन बने मनखे के राज होही? कब फेर ‘अटलÓ बनके ए मोर भारत माता ल बचाही। गुनत-गुनत जिनगी काटत हंव।
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