मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भीमा मंडावी से आखिरी बार इसी सदन में मुलाकात हुई थी। कबडडी के अच्छे खिलाड़ी थे। 30 साल की उम्र में पहली बार विधायक बनें। लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सली हमले में उनका निधन हो गया। मुख्यमंत्री ने मंडावी को सरल, सहज और मृदुभाषी बताते हुए उनके निधन को प्रदेश की क्षति बताया। उन्होंने मंडावी के परिवार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि विधायक भीमा मंडावी की वीरता के वे कायल हो गए हैं। उन्होंने कहा, भीमा मंडावी को नक्सलियों के खिलाफ अभियान के नायक के रूप में याद रखा जाएगा। लोकतंत्र के पर्व के दौरान नक्सलियों ने जिस तरह से उनकी हत्या की वह दुर्भाग्यजनक है। घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रहने के बावजूद उन्होंने कभी धमकियों की परवाह नहीं की।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि भीमा मंडावी को दक्षिण बस्तर के आदिवासियों के जीवन और कठिनाईयों की पहचान थी। उन्होंने जीवन भर उन कठिनाईयों को दूर करने की लड़ाई लड़ी। जोगी ने कहा कि दुस्कर स्थितियों के बावजूद मंडावी को समर्पण के बदले शहादत चुनने के लिए याद किया जाएगा। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा राजनीतिक हत्याओं का रिकॉर्ड छत्तीसगढ़ में रहा है।
उन्होंने कहा, 2008 के चुनाव में भीमा मंडावी तब के नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा जैसे नेता को हराकर सदन में पहुंचे थे। नक्सलियों के बारूद ने कोई भेद नहीं किया। उस बारूद से महेंद्र कर्मा की हत्या हुई, उसी बारूद से भीमा मंडावी को भी निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा, सभी को इस ओर सोचना होगा और नक्सलवाद पर लगाम लगाना होगा। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह हमारे लिए सोचने का विषय है। कब तक प्रदेश के राजनेता नक्सलवाद की बलिवेदी पर चढ़ते रहेंगे। इस सदन को इसपर कोई निर्णय लेना होगा।
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि बस्तर जैसे क्षेत्र में ऐसी हत्याओं ने स्थानीय नेतृत्व कमजोर होता है। जकांछ विधायक रेणु जोगी ने कहा कि झीरम घाटी के बाद यह दूसरी घटना है जिसमें एक विधायक नक्सलवाद की भेंट चढ़ गया। उन्होंने कहा कि यह घटना सरकार के लिए भी एक चुनौती की तरह है। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि भीमा मंडावी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र से जीतकर आए थे। वे नक्सलवाद के खिलाफ लड़ते रहे।
शिवरतन शर्मा ने कहा कि मंडावी के निधन के बाद उनके परिवार की स्थिति ठीक नहीं है। उसकी चिंता करने की जवाबदारी भी हमारी है। आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि भीमा मंडावी और उनके बीच मामा-भांजा जैसे रिश्ता था। राजनीति से उपर उठकर वे उनसे क्षेत्र के विकास पर चर्चा करते रहते थे।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ भीमा मंडावी भी महेंद्र कर्मा की तरह लगे रहे। उसे कुचलने की कोशिश करते रहे। उनकी कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती। संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि प्रदेश एक बहुत बड़ी समस्या से जूझ रहा है। हम कब तक शहादत के बारे में ऐसी चिंताएं करते रहेंगे। इन मुददों पर कभी इसी सदन में क्लोजडोर बैठक हो चुकी है। चिंता का यह कारण है कि वहां कब तक नरसंहार होता रहेगा। उन्होंने कहा कि झीरम घाटी में 34 शहादतों के बाद अब नौजवान विधायक भीमा मंडावी की हत्या चिंता का विषय हैं।
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