आपको कहां से मिली प्रेरणा…
मैं छत्तीसगढ़ चिरमिरी की रहने वाली हूं। वहां लोककला से बचपन से रूबरू होती आई हूं। नेचर से घिरी इस खूबसूरत वादियों का नजारा देखती रही हूं। जब मैं छोटी थी तब से ही आर्ट फील्ड में कदम रखा। इसके साथ मेरी मां भी पेंटिंग अर्टिस्ट रही हैं। उनको देखकर भी मैं काफी प्रभावित हुई। इस फील्ड में मेरे परिवार का बहुत साथ रहा।
फाइन आर्ट की पढ़ाई कहां से की?
मेरा बचपन तो चिरमिरी में गुजरा और १२वीं तक पढ़ाई भी वहीं से की। ग्रेजुएशन करने के लिए १९८६ में बीएचयू चली गई। जहां मैंने फाइन आर्ट की पढ़ाई की। १९८९ में वहीं से मूर्तिकला की शुरुआत की। कला के क्षेत्र में बचपन से रुचि रही है लेकिन जब आप बाहर जाते हैं और बड़े आर्टिस्ट से मिलते हो तो अत्मविश्वास बढ़ता है। मैं स्कल्पर आर्ट में कई नेशनल आवार्ड हासिल कर चुकी हूं।
शादी के बाद आपकी कला प्रभावित हुई?
अगर आप आर्टिस्ट हैं तो कला मरते दम तक साथ रहेगी। भले आप कुछ समय के लिए बंद कर दो लेकिन कला आप के अंदर रहेगी। शादी होने के बाद मैं कुछ दिन आर्ट से दूर हुई। लेकिन जब मेरे पति को यह बात पता चला कि मैं आर्टिस्ट हूं तो उनका पूरा साथ मिला और मैं देश के अलग-अलग प्रदेशों में जाकर नेशनल लेवल के एग्जीबिशन में शामिल होने लगी।
यंग आर्टिस्ट किन बातों का रखें ध्यान?
आज के दौर में सोशल मीडिया इतनी तेजी से लोगों को अपने गिरफ्त में कर लिया है कि पूरी दुनिया इसी पर निर्भर है। मैं यंग आर्टिस्ट से यहीं कहना चाहूंगी कि वे इंटरनेशनल लेवल के आर्टिस्ट का काम देखें और इसके साथ उस काम में अच्छाई को समझें। आर्ट एक एेसा फील्ड है जहां आप को हमेशा इनोवेशन करना होता है। जिससे दूसरों से अलग नजर आएगें। कॉपी-पेस्ट पर ध्यान न देकर एक्सपेरीमेंट पर ध्यान देना चाहिए।