बीजेपी विधायक अजय चंद्रकान ने ट्वीट कर लिखा ‘प्रदेश सरकार के मंत्री मान. कवासी लाखमा जी, यदि आदिवासियों के इतने हितैषी हैं तो, उन्हें देश में पहली बार बनने जा रही आदिवासी महिला राष्ट्रपति त्यागमूर्ति, करुणामूर्ति-श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का कांग्रेस के सभी आदिवासी विधायकों की ओर से समर्थन की खुली घोषणा करनी चाहिए।”
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इसके बाद अब मंत्री कवासी लखमा ने फिर विधायक के बयान का पलटवार किया है। मंत्री ने कहा है ‘राष्ट्रपति का चुनाव दल से तय होता है। हमारे हाईकमान तय करते हैं। ये उनके पक्ष के आदिवासी है। हमारे पक्ष का कोई नहीं है, हमने समझदार योग्य व्यक्ति को खड़ा किया है। राष्ट्रपति चुनाव काफी बड़े पद का चुनाव है। उन्होंने किस तरह के प्रत्याशी को खड़ा किया है? आदिवासियों को ही खड़ा करना था तो राज्यपाल अनुसुइया उइके, केदार कश्यप और रामविचार नेताम को प्रत्याशी के तौर पर खड़ा करते तो हम आदिवासी लोग खुश हो जाते।
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यहाँ से उपजा पूरा विवाद-
दरअसल भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने 6 जुलाई को धमतरी के कुरूद में खाद संकट के खिलाफ प्रदर्शन किया था। जिसकी प्रतिक्रिया देते हुए कवासी लखमा ने कहा था कि अजय चंद्राकर दिल्ली में यह प्रदर्शन करते तो किसानों का भला हो जाता। अब शनिवार को लखमा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अजय चंद्राकर ने कह दिया कि वे उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते। वे कांग्रेस मंत्रिमंडल के ‘आइटम गर्ल’ हैं। जिसके बाद मंत्री लखमा ने उक्त बयान के लिए माफ़ी मांगने को कहा और उनके बयान को पुरे आदिवासियों के खिलाफ बता दिया।