पीडि़त व्यक्ति उन्हें रायपुर या छत्तीसगढ़ का ही मानकर उनकी बातों पर भरोसा कर लेते हैं। और उनके नंबरों की जांच नहीं करते हैं व उनके बताए अनुसार अपने बैंक से संबंधित जानकारी देने लगते हैं। इससे वे ठगी का शिकार हो जाते हैं। पुलिस के मुताबिक छोटी-छोटी चूक और लापरवाही के चलते ज्यादातर लोग सायबर ठगी का शिकार हो रहे हैं।
दूसरे राज्य वाले नंबर होते हैं इस्तेमाल
सायबर ठगी करने वाले 99 फीसदी आरोपी झारखंड, बिहार, यूपी, दिल्ली, मुंबई, पश्चिम बंगाल के होते हैं और ठगी करने के लिए इन्हीं राज्यों के विभिन्न शहरों से लिए गए मोबाइल सिम का इस्तेमाल करते हैं। ठगी करने के बाद इन नंबरों को बंद कर देते हैं। या सिम को नष्ट कर देते हैं, ताकि पुलिस उन तक न पहुंच सके। पुलिस के मुताबिक सायबर फ्रॉड करने वाले अक्सर फर्जी नाम-पते से मोबाइल सिम खरीदते हैं।
नंबर की जांच ऐसे करें
अनजान नंबर से कॉल आने पर पहले उस मोबाइल नंबर को ट्रू कॉलर में चेक कर लें। अगर वह नंबर दूसरे राज्य व शहर का है, तब बैंक संबंधित जानकारी न दें। पहले यह जानकारी ले लें कि जिस राज्य या शहर के मोबाइल नंबर से कॉल आ रहा है, वहां आपके बैंक, क्रेडिट व एटीएम कार्ड से जुड़ा कोई कार्यालय है या नहीं? साथ ही फोन करने वाला व्यक्ति जिस तरह का दावा कर रहा है, उससे संबंधित कोई जिम्मेदार व्यक्ति वहां पदस्थ है क्या? पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही आगे की जानकारी दें।
बातों में ही उलझ जाते हैं
सायबर ठगी करने वाले बातों में उलझाते हैं और बैंक खाता, एटीएम कार्ड या क्रेडिट कार्ड ब्लॉक होने का डर दिखाते हैं। इसके चलते कई लोग उनके मोबाइल नंबर की जांच ही नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा कई बार लॉटरी या इनाम के लालच में भी उनके मोबाइल नंबरों पर गौर नहीं करते हैं।
90 फीसदी लोग सायबर ठगी करने वालों के मोबाइल नंबर पर गौर नहीं करते हैं। यही वजह है कि वे ऑनलाइन ठगी के शिकार होते हैं। ऑनलाइन ठगी करने वालें के लगभग सभी मोबाइल नंबर दूसरे राज्यों के होते हैं। दूसरे राज्यों के नंबर से फोन करने वालों को बैंक संबंधित जानकारी नहीं देने से काफी हद तक ठगी से बचा जा सकता है। कोई भी बैंक फोन से जानकारी नहीं मांगता है।
-अभिषेक माहेश्वरी, एएसपी-क्राइम, रायपुर