इसके लक्षणों की शुरुआत तक आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है। बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण आते हैं। यह चेचक यानी स्मॉलपॉक्स जैसा ही दिखता है। एक से तीन दिन के भीतर त्वचा पर दाने उभरने लगते हैं, वह फटते भी हैं। ये दाने गले के बजाए चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को ज्यादा प्रभावित करता है।
पुणे की लैब में भेजने को कहा डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि इस बीमारी की जांच प्रदेश में मौजूद वायरोलॉजी लैब में की जा सकती है। आईसीएमआर और एनसीडीसी ने संदिग्ध मरीजों के नमूने पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी भेजने को भी कहा है।
चेचक से खतरनाक कम, खास दवा भी नहीं डॉ. मिश्रा ने बताया कि अभी तक यही देखा गया है कि यह संक्रमण स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स जैसे मिलते-जुलते लक्षणों वाली बीमारियों से कम खतरनाक है। इसकी फिलहाल कोई खास दवा नहीं है। बुखार की दवा दी जाती है। अन्य संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबॉयोटिक की खुराक दी जाती है। तीन-चार दिनों में बीमारी ठीक हो जाती है।
एक भी केस नहीं, एयरपोर्ट पर निगरानी के निर्देश महामारी नियंत्रण विभाग के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि फिलहाल देश में मंकीपॉक्स का एक भी मरीज नहीं मिला है। लेकिन सावधान का स्तर बढ़ा दिया गया है। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों को सतर्क कर विस्तृत दिशा-निर्देश भेजे जा रहे हैं। इसके तहत मंकीपॉक्स के लक्षणों वाले हर संदिग्ध मरीज की शत प्रतिशत रिपोर्ट करने को कहा गया है। एयरपोर्ट पर निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।