scriptDev Uthani Ekadashi 2021: तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी 14 नवंबर या 15 नवंबर को, यहां जानें सही तिथि और पूजा विधि, महत्व | Do not be confused about Dev Uthani Ekadashi date 2021 know exact date | Patrika News
रायपुर

Dev Uthani Ekadashi 2021: तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी 14 नवंबर या 15 नवंबर को, यहां जानें सही तिथि और पूजा विधि, महत्व

Dev Uthani Ekadashi 2021: इस बार देवउठनी एकादशी को लेकर कुछ पंचांगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ पचांग में 14 नवंबर यानी रविवार को देवउठनी एकादशी बताई गई है। वहीं अधिकांश पंचांगों में 15 नवंबर यानी रविवार को देवउठनी एकादशी बताई गई है।

रायपुरNov 14, 2021 / 10:45 am

Ashish Gupta

Dev Uthani Ekadashi

Dev Uthani Ekadashi 2021: तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी 14 नवंबर या 15 नवंबर को, यहां जानें सही तिथि और पूजा विधि, महत्व

रायपुर. Dev Uthani Ekadashi 2021: कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi), ग्यारस, देवोत्थान एकादशी, के नाम से जाना जाता है। इस बार देवउठनी एकादशी को लेकर कुछ पंचांगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ पचांग में 14 नवंबर यानी रविवार को देवउठनी एकादशी बताई गई है। वहीं अधिकांश पंचांगों में 15 नवंबर यानी रविवार को देवउठनी एकादशी बताई गई है। एकादशी के उपवास को लेकर किसी तरह की का भ्रम न रखें। इसी दिन एकादशी उपवास के साथ तुलसी विवाह 15 नवंबर सोमवार को होगा।
धार्मिक मान्यतानुसार श्रीहरि विष्णु चार माह के शयन के उपरांत कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को योग निद्रा से जागृत होते हैं। देवशयनी एकादशी चातुर्मास से सभी मांगलिक कार्य वर्जित थे जो कि पुनः देवउठनी एकादशी से प्रारंभ होंगे। देवउठनी एकादशी से भगवान श्रीहरी विष्णु पुनः सृष्टि का कार्यभार संभाल लेते हैं। इस दिन से सभी तरह के मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।

पूजा विधि
देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) पर दिवाली की तरह ही स्वच्छता का विशेष ध्यान दें। नित्य कर्म से निवृत्त होकर संपूर्ण घर को स्वच्छ करें। एकादशी पर्व पर नदी में स्नान का विशेष महत्व होता है। अगर ऐसा संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल से स्नान कर सकते हैं। श्रीहरि विष्णु 4 माह के शयन के उपरांत देवशयनी एकादशी पर जागृत होते हैं तो उनके स्वागत के लिए विशेष नियम देवउठनी एकादशी पर किए जाते हैं। देवउठनी एकादशी पर रात्रि जागरण, पूजा अर्चना अति शुभ फल कारक मानी गई है।

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– पूरे घर को रंगोली व गैरु से ऐपण से सजाया जाता है।
– गन्ने व आम के पत्तों से श्री हरि विष्णु के लिए मंडप बनाएं।
– विष्णु जी को मंदिर में स्थापित करें। घी की अखंड ज्योत जलाए जो कि अगले दिन तक प्रज्वलित रहे तो अति शुभ माना जाता है।
– श्री हरि विष्णु व देवी लक्ष्मी को स्नानादि कराने के उपरांत वस्त्र अर्पित करें
– रोली, अक्षत, कुमकुम सफेद व पीले पुष्प अर्पित करें।
– पंच मिठाई, पंचमेवा, तुलसी के पत्ते पंचामृत भोग लगाएं।
– विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। घी के दीपक से आरती करें।
– शाम के समय 11 दीपक प्रज्वलित करें।

एकादशी का महत्व व उपाय
धार्मिक मान्यता अनुसार ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक पूर्ण श्रद्धा भाव से एकादशी का उपवास रखते हैं उन सभी को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है। जो भी जातक कुण्डली में पितृदोष से पीड़ित हों ऐसे जातक यदि एकादशी का उपवास रखें तो पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनके पितरों को भी लाभ मिलता है। पितरों की आत्मा को शांति व मोक्ष प्राप्त होता है।

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