हलासन
विधि: जमीन पर पीठ की ओर लेट जाएं। दोनों हथेलियां जंघाओं के बगल में हों। हथेली का सहारा लेते हुए दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और सिर की ओर जमीन पर टिका दें।
लाभ: रक्त का प्रवाह सिर की ओर बढ़ेगा। पिट्यूटरी ग्लैंड (पीयूष ग्रंथि) को मजबूती देता है, जो सभी ग्लैंड्स को नियंत्रित करती है। हार्मोन असंतुलन होने पर यह बचाव और उपचार दोनों के लिए उपयोगी थेरेपी है।
उष्ट्रासन
विधि: घुटनों के बल खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को साइड में ले जाते तथा पीठ पीछे की ओर मोड़ते हुए, हथेलियों से पैर की एड़ियां पकड़ लें। गर्दन को पीछे ढीला छोड़ें।
लाभ: पूरे स्पाइनल कॉलम को स्वस्थ रखने के लिए यह श्रेष्ठ आसन है। गर्भावस्था के दौरान ज्यादा दवाई लेने से हुई कब्ज और पाइल्स की परेशानी ठीक होती है। डिलीवरी के बाद बाहर निकला हुआ पेट भी शेप में आ जाएगा।
वक्रासन
विधि: दाहिने हाथ को घुमा कर बाएं पैर के पंजे को पकड़ना है। कमर और पूरी पीठ मोड़ते हुए पीछे की ओर देखना है। इसी स्थिति को वितरित क्रम से भी करना है।
लाभ: यह लोअर स्पाइन के लिए होता है। वजन उठाने या ज्यादा झुकने से कमर के निचले हिस्से में आई जकड़न ठीक होती है। डायबिटीक या प्री डायबिटीक के लिए यह काफी कारगर है। शुगर कंट्रोल रहता है।
मलासन
विधि: दोनों पैरों में 1 फीट का अंतर रखते हुए खड़े हों। हथेलियों का घुटने पर सहारा लेते हुए बैठ जाएं। अब दोनों हाथ नमस्कार की मुद्रा में रखें। पीठ को यथाशक्ति सीधा रखिए।
लाभ: नियमित अभ्यास करने से डिलीवरी के दौरान सर्जरी जैसी नौबत से बचा जा सकता है। अर्थात ये प्रीवेंटिव उपाय हो सकता है। झाड़ू-पोछा करने वाली महिलाओं को इस आसन की आवश्यकता कम होती है।
बद्ध कोणासन
विधि: दोनों पैरों को आगे रखते हुए दंडासन की स्थिति में बैठें। दोनों हाथ की हथेलियों से पैर का पंजा पकड़े तथा पीठ को यथाशक्ति सीधा रखें। दोनों घुटने नीचे की ओर झुकाएं।
लाभ: मलासन की तरह इसका नियमित अभ्यास डिलीवरी के समय होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। पेट के अंगों, अंडाशय, गुर्दे आदि को सही रखता है। मासिक धर्म और मेनोपॉज की परेशानी में राहत देता है।
नाड़ीशोधन प्राणायाम
विधि: सुखासन में प्राणायाम मुद्रा बनाकर पहले नाक के दाहिने छिद्र को बंद कर श्वास भरें और दाहिने से ही छोड़ें। फिर दाहिने से भरकर बाएं से छोड़ें। यह अभ्यास 9 चक्र में करें।
लाभ: इस प्राणायाम को पहले के 5 आसन करने के बाद करें। स्ट्रेस, एंजायटी, फ्रस्ट्रेशन और शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव है तो 5 से 6 मिनट नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से बिल्कुल रिलैक्स महसूस करेंगे।