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रायपुर

लोकसभा चुनाव: प्रदेश के शिक्षा नीति में छत्तीसगढ़ी भाषा को पाठ्यक्रम में अनिवार्य करने दिया जोर

बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा का स्तर और रोजगार की बात करे।

रायपुरMar 18, 2019 / 08:47 pm

चंदू निर्मलकर

CG News

लोकसभा चुनाव: प्रदेश के शिक्षा नीति में छत्तीसगढ़ी भाषा को पाठ्यक्रम में अनिवार्य करने दिया जोर

रायपुर. लोकसभा चुनाव की तिथि घोषित होते ही राजधानी रायपुर में चर्चाएं बढ़ गई हैं। पत्रिका द्वारा आयोजित हैशटैग मुद्दा क्या है को लेकर कलेक्टोरेट के सामने स्थित संस्कृति विभाग के गढ़कलेवा में सोमवार को आम नागरिकों और जागरूक लोगों से छत्तीसगढ़ी भाषा और स्थानीय कलाकारों को लेकर चर्चा की गई। जिसमें सभी वक्ताओं ने प्रदेश के शिक्षा नीति में सुधार किए जाने पर जोर दिया। साथ ही कहा कि वे भविष्य के लोकसभा चुनाव में ऐसी सरकार और उम्मीदवार चाहती हैं। जो दूसरी पार्टी पर आरोप प्रत्यारोप न करते हुए जनता से किए वादों पर ध्यान दें और वादाखिलाफी न करें। बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा का स्तर और रोजगार की बात करे।

प्रदेश में लागू होना चाहिए कमिशनरेट

पत्रिका के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता तथा शंकराचार्य आश्रम रायपुर के प्रवक्ता सुदीप्तो चटर्जी ने एक बड़ा मुद्दा उठाते हुए कमिशनरेट पद्धति लागू करने की बात कही। उन्होंने कहा की आज रायपुर की जनसंख्या 32 लाख के करीब पहुंच चुकी है, यदि कमिशनरेट लागू की जाती है तो 20 लाख जनसंख्या के पीछे एक पुलिस अधीक्षक, एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर, ग्रामीण, साथ ही उप पुलिस अधीक्षक शहर और ग्रामीण तथा अन्य अधिकारी होंगे। जिससे बढ़ते अपराधों के साथ साथ ट्रैफिक व्यवस्था पर भी बेहतर तरीके से कंट्रोल किया जा सकेगा। 32 लाख के जनसंख्या को दो भागों में बांटकर दोनों भागों के लिए पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस, अधीक्षक व अन्य अधिकारी होंगे, तब सभी तरह के अपराधों पर अंकुश लग जाएगा और जनता की परेशानियों का भी त्वरित हल निकाला जा सकेगा। छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता एवं थियेटर से जुड़े जसबीर कोमल ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को सभी स्कूलों में चाहे स्टेट बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड क्यों न हो वहां तृतीय भाषा के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। जिससे विद्यार्थी बचपन से ही छत्तीसगढ़ी भाषा सीखेंगे और आगे चलकर बोलेंगे। अन्य राज्यों को देखा जाए तो वहां कार्यरत और निवासरत लोग अपनी प्रादेशिक भाषा का उपयोग करते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं होता है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
स्थानीय कलाकारों को मिलना चाहिए मंच

होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. नीता शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में कलाकारों की कमी नहीं है, लेकिन राज्योत्सव या अन्य दूसरों आयोजनों में बाहरी कलाकारों को आमंत्रित कर लाखों रुपए प्रदेश सरकार द्वारा खर्च कर दी जाती है, जिससे स्थानीय कलाकारों का मनोबल टूटता है। इस पर शासन-प्रशासन को ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है, ताकि प्रदेश के कलाकारों को बेहतर मंच के साथ प्रोत्साहन मिल सके और प्रादेशिक भाषा का प्रचार-प्रसार हो सके। वरिष्ठ समाजसेविका संगीता पाल ने कहा कि महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान करने केंद्र और राज्य सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से कई योजनाएं संचालित की जा रही है, लेकिन समुचित प्रचार-प्रसार के अभाव में इसका जमीनी स्तर पर लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिससे सैकड़ों स्वसहायता समूह शासन की योजनाओं से वंचित हो रही है। बड़े एनजीओ को आसानी से इसका लाभ मिल जाता है, लेकिन छोटे स्तर पर स्वरोजगार स्थापित करने वाली समूहों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

विधानसभा में हो क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग

छॉलीवुड फिल्मों में रूचि रखने और थियेटर की दुनिया में अपनी पहचान बना रही अंजली राजपूत व माही गुप्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रादेशिक भाषा का प्रयोग विधानसभा में अनिवार्य किया जाना चाहिए। अन्य राज्यों के विधानसभाओं में क्षेत्रीय भाषा का ही उपयोग किया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य इससे अछूता रहा है। इस दिशा में सरकार को पहल करना चाहिए। वहीं आरक्षण प्रक्रिया के कारण गरीबों को पढऩे के बाद भी नौकरी नहीं मिलती और कम पढ़े-लिखे लोगों को उस पद पर बैठ दिया जाता है। इसलिए आरक्षण जैसे मुद्दो को बंद कर देना चाहिए। इससे जहां एक वर्ग को लाभ मिल रहा है वहीं अन्य वर्ग के लोगों को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ रहा है। आने वाली सरकार ऐसी होनी चाहिए जो आतंकी हमलों से निजात दिला सके। वर्तमान में एयर स्ट्राइक हुआ वह सरकार का देश के लिए नेक कदम था। ऐसी ही कोई सरकार आए जो हमारे देश और राष्ट्र उत्थान की बात करे। लोक सभा चुनाव में हम ऐसा उम्मीदवार चुनेंगे जो लड़कियों की सुरक्षा की बात करे। महिलाओं के लिए यातायात के साधन उपलब्ध कराए। जिसमें सेफ्टी और सिक्योरिटी की बात हो। ऐसे उम्मीदवार को ही हम अपना वोट देंगे।

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