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दिव्यांग रोगियों की क्षमता को पहचान आत्मनिर्भर बनाएं

एम्स में रोगियों के पुनर्वास पर सीएमई का आयोजन, भवन निर्माण दिव्यांगों की जरूरत के अनुसार किया जाए

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दिव्यांग रोगियों की क्षमता को पहचान आत्मनिर्भर बनाएं

दिव्यांग रोगियों की क्षमता को पहचान आत्मनिर्भर बनाएं

रायपुर. दुर्घटना या किसी गंभीर बीमारी की वजह से दिव्यांग होने वाले रोगियों के पुनर्वास को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शुक्रवार को सीएमई का आयोजन किया गया। इसमें देशभर के विभिन्न मेडिकल कालेज के शारीरिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग के प्रमुख विशेषज्ञों ने चिकित्सकों और छात्रों का आह्वान किया कि वे दिव्यांग रोगियों की अतिरिक्त शारीरिक और मानसिक क्षमता का आंकलन कर उनके पुनर्वास में मदद करें, जिससे शेष जीवन में उन्हें किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़े। एम्स के पीएमआर विभाग के तत्वावधान में आयोजित चैलेंजेज एंड स्कोप ऑफ रिहेब्लिटेशन विषय पर आयोजित सीएमई का उद्घाटन करते हुए सीएमसी अस्पताल, वेल्लूर के पूर्व निदेशक और प्रमुख पुनर्वास विशेषज्ञ प्रो. (डॉ.) सुरंजन भट्टाचार्य ने कहा कि दिव्यांगजनों की कमजोरी ही उनकी क्षमता के रूप में विकसित की जा सकती है। यह चिकित्सकों पर निर्भर करता है कि वे किस प्रकार उनकी क्षमताओं को चिह्नित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकते हैं। एम्स रायपुर के निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि पीएमआर विभाग और अन्य विभाग मिलकर रोगियों का न सिर्फ इलाज कर रहे हैं बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हुए उनके पुनर्वास पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल दिल्ली के प्रो. राजेंद्र शर्मा ने डायबिटीज के मरीजों और इसके आर्थोटिक प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत में लगभग दस लाख लोग डायबिटीज की वजह से अपने अंग खो देते हैं। इसमें से 75 प्रतिशत को अपना पैर खोना पड़ता है। ऐसे में इन मरीजों का पुनर्वास आवश्यक है।
सरकारी योजनाओं पर डाला प्रकाश
सफदरजंग अस्पताल के प्रो. अजय गुप्ता ने गोल सेटिंग इन मैनेजमेंट ऑफ स्पासिटी पर प्रस्तुति दी। छत्तीसगढ़ के सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण विभाग के उप-निदेशक राजेश तिवारी ने दिव्यांगजनों के लिए राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉ. जॉय सिंह ने भवन निर्माण के दौरान दिव्यांगजनों को मिलने वाली सुविधाएं प्रदान करने को कहा। सीएमई में प्रो. संजय वाधवा, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. करन पीपरे, एम्स के अस्थि रोग विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक अग्रवाल और आयोजन सचिव डॉ. जयदीप नंदी मौजूद थे।