पूरे मंदिर परिसर में शादी समारोह की तरह सुसज्जित किया गया था। फूलों की रंगोली और तोरणों से सजे मंदिर में शहनाइयों की गूंज के बीच भगवान बालाजी का देवी पद्मावती के साथ विवाह संपन्न हुआ। प्रकांड विद्वानों द्वारा तेलगु रीति-रिवाज के साथ विवाह संपन्न कराया गया।
शाम को भगवान बालाजी को आभूषणों से अलंकृत कर उनका श्रृंगार किया गया। झूले पर बैठाकर उनकी विशेष पूजा आरती कर गज वाहन में विराजित कर शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें धर्मावलंबियों ने भाग लेकर भगवान बालाजी का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर पूरा वातावरण गोविंदा के नारों से गुंजायमान हो उठा।
कार्यक्रम में आंध्रा एसोसिएशन के अध्यक्ष वी विजय चौधरी, सचिव श्रीनिवास राव, प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों में उपाध्यक्ष पीवीएस शंकर, उपाध्यक्ष केटी राव, कोषाध्यक्ष ई वेंकट रमना, संयुक्त सचिव मल्लिकार्जुन राव, संयुक्त सचिव हेमंत कुमार, कार्यकारिणी सदस्यों में एम वासुदेव राव, एनवीआर मूर्ति, एम सीमा रामू, टीएसके चक्रवर्ती, एम सत्यनारायणा नायडू, के दिवाकर राव, एम विजयलक्ष्मी, ए अप्पा राव, एस गणेश, टी मुरली नायडृ एवं आंध्रा समाज के सदस्य उपस्थित थे।