समिति के अध्यक्ष कृष्णा साहू ने बताया गणेश प्रतिमा प्रत्येक वर्ष भगावन शिव के रूप में ही बनाते है। इस बार गजानंद स्वामी को भगवान शिव के रौद्र रुप में दिखया गया। पौराणिक कथा के अनुसार राजा दक्ष के विशेष पूजा में शिवजी को नहीं बुलाने पर माता सती हवन कुंड में अग्रि समाधि ले लेती है। जिससे शिव क्रोधित होकर रुद्र धारण करके सती को अपने कंघे में रखकर पूरे ब्रह्मांड में चक्कर काटते हैं। भगवान विष्णु द्वारा भगवान सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से काटा जाता है । इसी दृश्य को गणेश के प्रतिमा के रुप में स्थापित किया गया है। गणेश पंडाल को कलकत्ता क कलाकरों द्वारा 35 दिन में पंडाल को तैयार किया गया है। साथ ही प्रतिमा को माना कैंप के कृष्णा मुर्तिकला द्वारा छह माह में बनाया गया है।