scriptPackage Politics: BJP बोली – मील का पत्थर सिद्ध होगा केंद्र सरकार का आर्थिक पैकेज | Politics on Economic Package: BJP praised Modi govt Package for farmer | Patrika News
रायपुर

Package Politics: BJP बोली – मील का पत्थर सिद्ध होगा केंद्र सरकार का आर्थिक पैकेज

भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रदेश इकाई ने पांचवें चरण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की ओर से घोषित पैकेज (Economic Package) को मिल का पत्थर बताया है।

रायपुरMay 18, 2020 / 02:28 pm

Ashish Gupta

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रायपुर. भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई ने पांचवें चरण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की ओर से घोषित पैकेज (Economic Package) को मिल का पत्थर बताया है। भाजपा का कहना है, आर्थिक पैकेज के प्रावधानों और विभिन्न क्षेत्रों में सुधार की दिशा में उठाए जा रहे कदमों से केंद्र सरकार के सुलझे दृष्टिकोण और विकास व जनकल्याण के लिए स्थाई योजनाओं में नेतृत्व का चिंतन साफ नजर आता है।
राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय (Saroj Pandey) ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार करके केंद्र सरकार गांवों तक एक ऐसा ढांचा विकसित करने जा रही है कि भविष्य में किसी भी तरह की महामारी का मुकाबला अब गांव में ही किया जा सकेगा। मेडिकल रिसर्च को प्रोत्साहित करने का केंद्र सरकार का संकल्प समय की मांग के अनुरूप है।
भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा कि पैकेज की पांचवीं किस्त में प्रवासी मजदूरों के रोजगार की केंद्र सरकार ने जो चिंता की है, वह केंद्र सरकार की संवेदनशीलता और मानवीय पहल की मिसाल है

राज्य सरकार कर रही अन्याय
छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार सत्ता सुख के लिए किसानों को छल रही है। अब प्रदेश का हर किसान एक ही बात पूछ रहा है कि उसके धान मूल्य की अंतर की राशि और 2 साल के बकाया बोनस का भुगतान कब आएगा।

नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि पूरे प्रदेश में किसानों से हर वर्ग में प्रदेश सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। इस सरकार को दिल्ली को कोसने के अलावा किसी की चिंता नहीं है। प्रदेश की चिंता होती तो अब तक के किसानों को बाकी बोनस का भुगतान भी मिल जाता।
कौशिक ने कहा कि पूरे प्रदेश में 19.55 लाख किसानों का पंजीयन हुआ था। 25.28 लाख हेक्टेयर यानी करीब 63 लाख एकड़ में 9.48 हजार करोड़ क्विंटल धान की खरीदी होनी थी, लेकिन करीब 8.30 हजार करोड़ क्विंटल धान ही खरीदा गया है। इस तरह करीब 1.18 हजार करोड़ क्विंटल धान कम खरीदा गया है, जिससे किसानों को करीब 3 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। पहले ही रकबे में कटौती कर दी गई थी और किसानों का धान ही कम खरीदा गया है।
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