
पीएमओ का संज्ञान, रायपुर से गए सुझाव पर दवाओं के प्रचार-प्रसार के विरुद्ध ड्राफ्ट तैयार
रायपुर. केंद्र सरकार के नियमों के अंतर्गत शेड्यूल ड्रग जो कि डॉक्टर द्वारा पर्ची में लिखी जाती हैं, उनका प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सकता। मगर, मल्टी नेशनल कंपनियां इनका विज्ञापन कर रही हैं। बीमारी ठीक होने का दावा भी किया जा रहा है। यह मरीजों को आकर्षित करता है।
मेडिकल स्टोर में ये दवाएं बगैर पर्ची के ही बेची जा रही हैं। जो नियमों का खुला उल्लंघन है। इसी मु²े को लेकर 03 मार्च 2018 को रायपुर ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन के सचिव अश्वनी विग ने प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (पीएमओ) को पत्र लिखकर विज्ञापनों पर रोक लगाने और उचित कार्रवाई की मांग की थी। भले ही दो साल का वक्त लगा हो, लेकिन केंद्र सरकार ने अश्वनी विग के पत्र पर संज्ञान लेते हुए ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।
45 दिनों के अंदर मांगें सुझाव-
गौरतलब है कि ड्रग एंड मेजिक रेमेडीज एक्ट साल 1954 में बना था। इस पर समय-समय पर संशोधन हुए, मगर पहली बार है जब दवाओं के प्रचार-प्रसार को लेकर ड्रग एंड मेजिक रेमेडीज एक्ट-2020 का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। जिसमें 45 दिनों के अंदर सुझाव दिए जा सकते हैं व आपत्ति दर्ज करवाई जा सकती है।बड़ी-बड़ी कंपनियां कर रही प्रचार सर्दी, जुखाम, खांसी से लेकर आई ड्रॉप तक का प्रचार-प्रसार होता है। यहां तक की बॉडी बनाने, दिमाग तेज करने, ऊंचाई बढ़ाने जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी विज्ञापनों में किया जाता है। जो कानून का उल्लंघन माना जाता है। इस पर कार्रवाई का अधिकार राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को है।
अश्वनी विग ने जैसा 'पत्रिकाÓ को बताया-
कोई भी कंपनी यह दावा नहीं कर सकती है कि उसकी बनाई दवा से संबंधित बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। अगर वह ऐसा कर रही है तो यह मरीजों के साथ धोखा है। मैंने पीएमओ को पत्र लिखा था। मुझे खुशी है कि इस पर पीएमओ ने संज्ञान लिया है। हां, अगर जो दवाएं शेड्यूल ड्रग नहीं है, उनके लिए अगल नियम हो सकते है। क्या कैंसर ठीक होने का दावा कोई कंपनी कर सकती है?
Published on:
14 Mar 2020 12:45 pm
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